सोमवार, फ़रवरी 7

रेल गाड़ी-भाग 3


यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

रेल  यात्रा करना मुझे बहुत हि ज्यादा पसंद है और मैं बचपन से हि रेल यात्रा करता भी हूँ और ऐसी तरह कई किस्से कई बार जाने अनजाने बन हि जाते है । ऐसा हि एक किस्सा जो आज मैं आप को बताने रहा हूँ ।  भीषण गर्मी का मौसम है रेल तेज गति से शांत माहौल को चीरति हुई छूक छूक करती आगे को बड़ी जा रही है ।अपनी पूरी मस्ती मे मस्त बीच बीच में सिटी मरती है रेल के बाहर देखने से लग रहा है जैसे कि सारी दुनिया पीछे(विपरीत दिशा मे) भाग रहि है। और जब रेल किसी स्टेशन पर रुकने लगती है तो लगता है जैसे कि कोई बोलिवूड कि हिरोयिनि अपने हीरो से मिल रही हो । हजारों कि संख्या मे यात्री उतरते और चढ़ते है । तो कहीं से चाय चाय कि आवाज आती है तो कहीं से पानी पानी कि । मुझे तो स्टेशन पर उतर रहे इधर उधर थोड़ा घूमना अच्छा लगता है । तो हर बार कि तरह से इस बार भी मैं स्टेशन पर उतरा और मेरे पास हि चाय वाला आ गया मैंने एक चाय ले ली ओए वापस आया तो मैंने देखा मेरी शिट पर कोई लड़की बैठी है मुझे गुस्सा आया , मैं उसकि ओर बढ़ा और कुछ कहने हि वाला था कि वो उठ कर सामने वाली सीट पर जा बैठी । मेरा सारा गुस्सा हि गायब हो गया, लड़की कुछ चंचल स्वभाव कि है । मैं अपनी सीट पर बैठ गया चाय पिते हुए मैं उसे देख रहा हूँ उसकी काली नीली आँखे एक जगह नहीं ठहरति। उसके बाल कंधे से होते हुएं नोचे तक आ रहे है। मांग मे सिंदूर गले मे मंगल सूत्र और सूट पहने हुए। उसने मेरी ओर देख और पूछा आप कहा जारहे हो मैंने भी जवाब दिया और कहा आप कि स्माइल बहुत सुन्दर है आप कहा जा रही है उसने भी बताया फिर कहा जिसे मेरी स्माइल देखना है वो तो देखता नहीं। अच्छा तो वो कौन बाद नशीब है जिसे जिसे आपकी खूबसूरति  नहीं दिखाई दे रही।है मेरे पति देव।अच्छा तो क्या वो अंधे है । नहीं यार वो मुझसे प्यार हि नहीं करते। क्या बोलते है (हम दोनों दोस्त कि तरह हो गए है इस लिए मुझे बात करने मे कोई परेसानि नहीं है) 

उसने कहा जैसे आप मुझसे बात कर रहे है वैसी तो उसने कभी भी मुझसे बात नहीं कि हमेशा दूर दूर हि रहता है । साथ मे सोता है पर पास मे नहीं मैं यदि पास जाती हूँ तो वो दूर हो जाते है कभी कभी हि हम मिलते है वो भी उसका मन किया तो। मैं कितना भी काम कर लू कभी तारीफ नहीं करता।

आप को गाली तो नहीं देता, आप को मरता तो नहीं।

नहीं यार तुम नहीं जानते ऐसा कुछ नहीं है वो बस इतना चाहता है कि मम्मी पापा कि सेवा करुँ और करती भी हूँ ,कोई लड़ाई झगडे भी नहीं है फिर भी जो प्यार मुझे चाहिए वो तो नहीं है अब देखो कभी गोद मे भी नहीं उठाया कभि खाने को भी नहीं पूछा। कहीं भी आज तक घुमाने नहीं ले गया। तो क्या मैं सिर्फ एक नौकरानी हूँ।

नहीं आप तो सही बोल रही हो पर आप को कोई अच्छाई नहीं दिखती उसमें

दिखती है ,जब मैं मायका आती हूँ तब वो मुझे लेने आता है तब लगता है कि उसे मेरी जरुरत है पर सिर्फ लेजाने आता है बाकी तो फिर वहीं हाल कोई मतलब नहीं।

तो कोई बॉयफ्रेंड बना लो

अरे अब क्या बोलूँ मेरे से सब अच्छे से बात करते है  सादि से पहले मेरे कई बॉयफ्रेंड है मैंने सब किया है। सादि के बाद भी कर सकती हूँ अभी मेरी उमर हि क्या है सत्रह साल कि तो हूँ ।सादी के बाद तो और ज्यादा लड़के लाइन मरते है । मेरे गाँव मे तो सादी सुदा औरतो के भी बॉयफ्रेंड है। औरते भी कुअरे लड़कों को हि देखती है। पर मैं सोच रही हूँ अब इनको तलाक हि दे दूँ।

क्यूँ तलाक कि क्या जरुरत है।

अभी तो मेरी सादी कि उमर भी नहीं हुई है क्या हुआ है मेरा एक मंगल सुत्रा पहना है और माँग भरि है बस ,क्या बिगड़ गया मेरा अभी तो कई अच्छे अच्छे रिश्ते आ जाएँगे मेरे लिए। और सादी करके क्या हुआ जो सादी के बाद होता वोतो सब सादी से पहले भी होता है। सब करती है मैंने भी किया है। तो क्या हो गया।

हा आप तो सही बोल रही है आप को यही करना चाहिए। तभी उसे किसी ने आवाज दी कहा सीट मिल गई, उसने कहा अभी आयी जी।  और कहा यही मेरे पति है। ऐसा बोल कर चली गई । 

मैं सोचा हे भगवन अच्छा हुआ चली गई नहीं तो मेरा तो दिमाग हि हिला दिया ऐसा भी लोग सोचते है बताओ। मेरी तो चाय भी खत्म हो गई और रेल भी चलने लगी।

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