बुधवार, मार्च 11

कान्हा अपनी मुरली बजाते ही रहों

मैं नाचती रहूं तुम नाचाते ही रहो


सुंदर सुंदर उपवन और ये यमुना की धारा

सुन्दर से जग मे ना है तूझसा कोई प्यारा

इस माया कि नगरी मे तू ही है सहारा।

इस मांझी कि नैय्या का तू ही है किनारा।


बैठे बैठे मोहन बतयाते ही रहो

मै सुनती रहू तुम सुनाते ही रहो

छोटे छोटे पल और ये छोटी छोटी यादे

जानते हो मोहन तूम मेरे सब इरादे

करादो अपने दरसन ओ मेरे भोले नाथ

इतनी सी है विनती तूम दो मेरा साथ

श्याम मेरे सपने में आते ही रहो

नींद मेरी ले लो तड़पाते ही रहो


राधा संग तुने तो रास रचाया

मीरा संग तुने तो प्रित लगाया

मूझे अपने चरणों में रख लो घनश्याम

बन जाऊं मै सीता और तूम मेरे राम

लायी हूँ मै माखन तूम खाते ही रहो

मै खिलाती रहूगी तूम खाते ही रहो।


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