शुक्रवार, नवंबर 15

शायरी RS4

इश्क बनकर रूह को वो सजा गए।
चाहत बनकर दिल पर वो छा गए।

वो आए जिंदगी में कुछ इस तरह,
जिस्म बनकर बाहों में समा गए।

He decorated the soul by becoming love.
 By becoming a desire, he was engrossed in his heart.

 He came in life like this,
 Fell into the arms as a body.

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