सोमवार, मार्च 11

होली

बौछार पड़ी  तेरे अंग अंग  से
मैं तो रंगी सांवरिया तेरे रंग से
1
चुनरी भीगी और भीगी चोली।
कैसी पिया संग खेली होली।
किस लिए वो लडे भुजंग से।
बदनाम भई पिया तेरे संग से।
2
लाल हरा और पीला गुलाबी।
कोई रंग ना रह गया बाकी।
मैं तो बची ना तेरी बातों से।
 तूने छू दिया तेरे हाथों से।
3
नदिया झरने और ये समंदर।
तू ही तू है मेरे दिल के अंदर।
मैं तो सटी पिया तेरे तन से।
प्रीत लगी मुझे तेरे मन से।

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