कहा गयी पता नहीं!
मैं ढूंढता याहा वाहा,
वो है कहा पता नहीं!
धूप थी घनी घनी,
वो छांव जुल्फ की मिली!
धूप में खड़ा हूं मैं,
वो छांव का पता नही!
देखती थी वो निगाहें,
प्यार से मुझेको कभी !
प्यार वाली वह नजर,
खो गई यहीं कहीं!
चांद की वो रोशनी से,
चांदी सी चमक उठी!
साथ बीती रात जो,
वो याद मुझको दे गई!
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