बुधवार, फ़रवरी 23

मेरी जीवन यात्रा भाग-2 my life journey part-2

डर सब को लगता है। बात छोड़ी पुरानी है और मेरे जीवन का एक दिन है। उस दिन हम दोनों भाई पूरी रात का सफर करके भोपाल पहुंचे। रेलवे स्टेशन भोपाल बहुत अच्छा स्टेशन है। हमें यहाँ से हमिदिया हॉस्पिटल जाना है।हम सुबह सुबह भोपाल आये है तो सोचा क्यों पैदल हि चल लिया जाए। मैंने अपना मोबाइल निकाला और G-map पर लोकेशन सेट कर के चलने लगे। हम पहली बार यहाँ आए है, यहाँ कि लम्बी-चौड़ी सड़के, थोड़ी थोड़ी दुरी पर चौराहा, चौराहों से गुजरती कई सारी गाड़ीया। एक से बढ़ कर एक। सड़को के किनारे से बनी बड़ी बड़ी बिल्डिंग।ऊपर नज़र उठाकर देखने से लगता है, मनो बिल्डिंग आसमान को चुम रही है। एक बिल्डिंग मे हमारा पूरा गाँव बस सकता है इतनी उचि तो है। हर बिल्डिंग मे नीचे एक एक दुकाने है । अभी तो कई दुकाने बंद हि है। कुछ खुल गई है और कुछ खुल रही है। धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे है। कुछ आगे जाने पर लगा जैसे हम किसी किले के अंदर है। और ये सच है हम एक किले मे है। पास हि पूछने से पता चला, ये किला राजा भोज का किला है। इस किले के अंदर अब सरकारी काम काज होते हैं। ये बहुत दुःख कि बात है ये किला कई जगहों से छिन्न भिन्न हो रहा है। पर ये अब भी बहुत सुन्दर दिखाई देता है। यहाँ से थोड़ा और आगे गए। आगे एक बड़ा तालाब है। इसका नाम भी बड़ा तालाब है। देखने पर दुर दुर तक केवल पानी हि पानी, किनारा तो है हि नहीं।और पानी कि लहरों के बीच तैरती हुई नाव दिखाई देती है। तालाब मे कई मछलीयां है वे जब पानी मे उछ्लति है तो दिखती है। यही सड़क के किनारे तालाब मे एक मूर्ति बनायीं गई है ये मूर्ति राजा भोज कि है। अभी ये नयी है इसके चारों ओर कपड़ा लपेटा हुआ है। अभी इसके दोनो पैर खुले, उन्होंने दोनों पैरों मे शानदार जूते पहने है और एक पैर के पास हि तलवार कि नोक रखी है। लगता है उन्होंने तलवार को एक हाथ से पकड़े रखा है। हमने कई सारी फोटोशूट किये और फाईनालि हम हमिदिया हॉस्पिटल पहुँचे। हॉस्पिटल काफी बड़ा है और अलग अलग तरह के कई सारे इलाज हो रहे है। हमने अपना काम जल्दी जल्दी कराया। हम बाहर जाने हि वाले है कि अंदर से एक स्तेचर पर एक छोटी बच्चि को बाहर ले जाते कुछ लोग दिखें। उसके पीछे-पीछे एक महिला रोते हुयी जा रही है बच्चि के शरीर मे कोइ भी हलचल नहीं हो रही है। उसका चेहरा दूसरी ओर मुड़ा हुआ है। मैंने मन हि मन सोचा ,ये तो मर गई। जैसे हि ये सोचा उस बच्चि ने अपना सर मेरी ओर घुमाया। और सीधे मेरी आँखो मे देखा। मैं एक पल के लिए घबरा गया। मैं पसीना पसीना हो गया। मेरा डर मेरे रोम रोम मे देखा जा सकता है।

         Everyone feels fear.  The thing left is old and is a day of my life.  On that day both of us brothers reached Bhopal after traveling the whole night.  Railway station Bhopal is a very good station.  We have to go to Hamidia Hospital from here. We have come to Bhopal in the morning so thought why should we walk on foot.  I took out my mobile and set the location on the G-map and started walking.  We have come here for the first time, here there are long roads, intersections at short distances, many vehicles passing through the intersections.  Better from one another.  A huge building built on the side of the road. Looking up, it seems that the Mano building is kissing the sky.  Our whole village can live in one building, it is so good.  There is a shop at the bottom of each building.  Many shops are closed now.  Some have opened and some are opening.  Slowly moving forward.  After going a little further, it felt as if we were inside a fort.  And it is true that we are in a fort.  After asking nearby, it was found that this fort is the fort of Raja Bhoj.  Government works are now done inside this fort.  It is a matter of great sadness that this fort is getting torn apart from many places.  But it still looks beautiful.  Went a little further from here.  There is a big pond in front.  Its name is also Bada Talab.  On seeing far and wide, only water is water, there is no shore. And a boat is seen floating between the waves of water.  There are many fish in the pond, they are visible when they jump in the water.  An idol has been made in the pond on the side of the road, this idol is of Raja Bhoj.  Right now it is new, there is a cloth wrapped around it.  Now both his legs are open, he is wearing luxurious shoes on both feet and has kept the tip of the sword near one leg.  He seems to be holding the sword with one hand.  We did many photoshoots and finally we reached Hamidia Hospital.  The hospital is very big and many different types of treatments are being done.  We got our work done quickly.  We are about to go out that some people are seen from inside taking a small girl out on a statue.  A woman is crying after her, there is no movement in the body of the girl.  His face is turned to the other side.  I thought to myself, she is dead.  As soon as she thought of this, the girl turned her head towards me.  and looked straight into his eyes.  I panicked for a moment.  I got sweaty.  My fear can be seen in my hair.


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