मंगलवार, मार्च 29

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग somnath Jyotirlinga


हर हर महादेव। दोस्तों मैंने गिरनार यात्रा कल पूरी कर ली है। मैं अभी सोमनाथ मे हूँ। रात को हि यहाँ पहुचा हूँ। यहाँ पास के होटल(होटल मेजेस्टिक) मे रुका था। सुबह होते हि नहा कर होटल से चाय पी ली। और सोमनाथ महादेव के दर्शन के लिए निकल गया। होटल बहुत हि अच्छा है। यहाँ कि सर्विसेज भी अच्छी है। रास्ते से होता हुआ करीब बीस मीनट मे सोमनाथ मंदिर के सामने आ गया।मंदिर के सामने बहुत बड़ा बाजार है। कई सारे भक्त बाजारों मे घूम रहे है। साधु सन्त सभी लोग बाजार मे दिखाई दे रहे है। मंदिर मे प्रवेश से पूर्व सभी भक्तो को मोबाईल गैजेट बैग सभी सामान (सामान घर) मे रखना पड़ता है। मैंने भी सभी सामान वहाँ रख कर टोकन ले लिया। लम्बी कतार मे चलकर मैंने मंदिर के प्रांगण मे कदम रखा । यहाँ सामने मे एक विशाल द्वार बना है जिसका नाम  श्री दिग्विजय द्वार है। इस द्वार को पार करते वक्त  कानों मे स्वागत संगीत सुनाई पड़ता हैं। यहाँ सहनाई तबला वादक है जो निरन्तर संगीत बजाते रहते है। द्वार पार करते हि विशाल मंदिर के दर्शन होते है। मंदिर के सिखर पार ध्वज फहराह रहा है। मंदिर मे पाँच द्वार है। मंदिर पूरा खम्बो से बना है। जिनपर कई सारी कलाक्रतिया बनी हुई है। मंदिर के गुम्बद अंदर और बाहर कोई ऐसी एक जगह खाली नहीं है जहां पार कोई कलाक्रतिया ना बनी हो।मंदिर के चारो और पार्क बना बना है। मन्दिर  मे भगवन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते है। जिन्हें देख कर मन सान्त हो जाता है। मंदिर के बाई ओर समुद्र है। दायी ओर सोमनाथ शहर। मंदिर प्रांगण मे बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पास हि उनसे जुड़ी कथाएं भी लिखी हुई है। पास हि मे सोमनाथ बीच है। जहां कई सारे सैलनि भी आते है।

Everywhere Shiva.  Friendship, I have completed the Girnar Yatra yesterday.  I am in Somnath now.  I have reached here at night.  Stayed here at a nearby hotel (Hotel Majestic).  In the morning, after taking a bath, drank tea from the hotel.  And Somnath left for Mahadev's darshan.  Hotel is very nice.  The services here are also good.  After passing through the road, Somnath came in front of the temple in about twenty minutes. There is a huge market in front of the temple.  Many devotees are roaming in the markets.  All the saints and saints are visible in the market.  Before entering the temple, all the devotees have to keep mobile gadget bags in all the goods (goods house).  I also kept all the things there and took the token.  After walking in a long queue, I stepped into the courtyard of the temple.  Here a huge gate has been built in front, whose name is Shri Digvijay Dwar.  While crossing this gate, welcome music is heard in the ears.  Here Sahnai is a tabla player who plays music continuously.  On crossing the gate, one can see the huge temple.  The flag is hoisted across the Sikhar of the temple.  The temple has five gates.  The temple is made up of complete pillars.  On which many artworks have been made.  There is no such place empty inside and outside the dome of the temple, where no artwork has been made across. A park has been built around the temple.  Lord Somnath Jyotirling is seen in the temple.  Seeing whom the mind becomes calm.  To the left of the temple is the sea.  Somnath city on the right.  Darshan of twelve Jyotirlingas and stories related to them have also been written in the temple premises.  Nearby is Somnath Beach.  Where many tourists also come.



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शुक्रवार, मार्च 25

Girnar tirth yatra गिरनार महातीर्थ

आज होली कि छुट्टी है, काम पर जाना नहीं हैं। सुबह जल्दी हि तैयार हो गया हू, क्योंकी आज मुझे गिरनार महातीर्थ यात्रा करने जाना है। मैं जल्दी हि NH 27 हीरासागर रास्ते पर आ गया हूँ। कुछ देर इंतजार करने पर मुझे यहाँ से कुवडवा के लिए बस मिल गई। सुबह का समय है चारों तरफ घाना अंधेरा है। थोड़ी देर बाद ही कुवडवा पहुचा। कुवडवा मे नास्ता किया फिर बस स्टेशन के लिए पैदल हि चला। अब थोड़ा थोड़ा उजाला हो गया है। मुझे एक मोटरबाइक वाला भैया मिला है। उसने मुझे पैदल चलते देख मोटरबाइक रोकी और मुझसे मेरे बारे मे परिचय लिया है। फिर मुझे मोटरबाइक पर बैठा कर बस स्टेशन तक पहुचा दीया। यहाँ से मैं राजकोट कि बस मे बैठा। राजकोट पहुचते पहुंचते सूरज निकल है। बहुत हि अच्छा लग रहा है। राजकोट से मैंने दूसरी बस ली है। मुझको यहाँ से अब जूनागढ़ जाना है। सुबह आठ बजे है मैं जूनागढ़ आ गया हु।जूनागढ़ बहुत बड़ा बाजार है । यहाँ बाजार से मैंने एक महाकाल लिखा हुआ स्कार्फ खरीदा धूप तेज हो रही है इसलिए एक कैप भी खरीद लिया। इस बाजार मे कई सारी चीज़ है नरियाल फुल फल कपड़े आदि। मैंने अपनी जरुरत के अनुसार सामान खरीद लिया है। अब मैंने गिरनार यात्रा पहाड़ी कि ओर कदम बढ़ना शुरू किया। रास्ते मे कुछ लोग है जो teliscop दूरबीन से कुछ दिखा रहे है। मैंने पूछा तो उन्होंनेे मुझे बताया यदि कोई यहाँ से माँ अम्बाजी मंदिर के दर्शन करना चाहते है तो सिर्फ पाच रू मे देख सकता है। मुझे तो वहाँ जाना हि है फिर यहाँ से क्या देखना । फिर आगे बड़ा पास हि एक मंदिर है। सामने से बहुत बड़ा है। उसके मुख्य गेट पर रघुनाथ द्वार लिखा है, एक शिव मूर्ति भी लगी है। मैं मुख्य द्वार से अंदर आया। अंदर बहुत हि सुंदर मंदिर है सभी खम्बे सोनेगर्भशय ह्ग से रंगे हुए है । मंदिर के गर्भग्रह मे शिवलिंग है। देखने मे बहुत सुंदर है। मन्दिर के प्रांगण मे और भी छोटे-छोटे मंदिर है जिनमें बहुल से अलग अलग देवी देवता विराजमान है। सभी कि पूजा अर्चना करके मैं गिरनार यात्रा के अगले पड़ाव कि ओर आगे बढ़ने लगा। रघुनाथ द्वार घुमने मे मुझे दस बज गये है। धूप तेज हो गई है। गिरनार कि पहाड़ी चढना शुरू कर रहा हूँ। चढ़ते-चढ़ते देख रहा हूँ। सीढ़ियों के दोनों ओर दुकाने है दुकानों मे पुस्तके है कहीं कोल्डड्रिंक है कहीं फल है। खाने पीने कि सभी चिजे है। पहला द्वार के साथ हि सीढियो कि शुरुआत हो रही है। सीढ़ियों को प्रणाम किया और आगे चढने लगा। टेडा मेडा रास्ता है। उची उची परवत स्रन्खलाये है बड़े बड़े पत्थर है। दूसरे द्वार तक पहुचते हुए दिन के बारह बज गए हैं। गर्मी बहुत है धूप भी तेज है सूरज सीधे आशमा पर है। थोड़ा आराम करके आगे चलने लगा हूँ। शरीर से पसीने कि धार बहने लगी है फिर भी मुझे उत्सह है बड़े बड़े पेड़ है। और बन्दर भी है वो सभी शांत है और पेड़ो कि छाव मे है। मेरे पैरों मे अब दर्द होने लगा है। रास्ते मे कुछ भक्त मेरे साथ ही है। बीस पच्चिस पीढियां चल कर आराम करता हू फिर आगे बढ़ता हूँ। एक बजे मैं तीसरे द्वार आ गया हूँ। यह किले कि संरचना वाला बहुत बड़ा द्वार है। द्वार के दोनों ओर कि दिवार पर सैनिकों कि कलक्रति उकेरि हुई है। देखने मे बहुत सुन्दर है। द्वार को पर करते हि बौध मंदिर मिलते है। लगभग पचास बौद्ध मंदिर है उनपर तरह तरह कि कलाक्रतिया बनी हुई है। मंदिरो को पर करते हि चोथ द्वार है। इस द्वार को पार करके मैं माँ रजोला गुफा मे आया। माँ रजोला के पास जाने के लिय गुफा है। गुफा के सामने स्पस्ट शब्दोंं मे लिखा है पाँच लोगों के अधिक प्रवेश ना करें। गुफा का मुख बहुत छोटा है एक आदमी को जाने के लिए बैठ कर प्रवेश करना होता है मैं भी अंदर गया। पत्थरो के बीच सुरंग जैसा है। माँ रजोला गुफा मे एक पत्थर पर उकेरि हुई मूरत है। मैंने भी माँ का आशीर्वाद लिया।फिर आगे कि यात्रा चलने लगा। यहाँ से आगे का रास्ता और भी कठिन हो गया है। सिधि खड़ी चढ़ाई है। कहीं कहीं खाई है। और अब दुकाने भी नहीं है। गाला बार बार सुख जाता है। एक एक घुट पानी से गाला गीला कर लेता हूँ। नीचे देखता हूँ सारा शहर छोटा सा दिखता है । छोटे-छोटे घर और मन्दिर दिखाई देता है। तीन बजे मैं माँ अम्बाजी मंदिर पहुच गया। मन्दिर बहुत उचाई पर बना है। भक्तो कि बहुत भीड़ है। मंदिर मे प्रवेश करते हि सामने एक सिंह दिख रहा है। उसके सामने माँ कि ज्योतिर्लिंग है। मंदिर मे  LED लगी है दर्शन हो रहे है। माँ के दर्शन करने के बाद बाहर आ गया। माँ कि कथा के अनुसार जब सती माता के खंड हुए, तब माँ का उदर यहाँ गिरा था। तब से यहाँ माँ अम्बाजी सक्तीपीठ के रूप मे यहाँ है। यहा आने के लिए लिफ्ट भी है। अभी हमारी यात्रा समाप्त नहीं हुई। मुझे रस यात्रा को श्री गुरु दत्तात्रेय धाम तक ले जाना है। यहा छोटा सा बाज़ार है। जहां मैंने नास्ता किया।फिर चलने लगा। सूरज का तेज अब कम हो गया है। ठंडी-ठंडी हवा चल रही है। आस पास पेड़ के आलावा दूर दूर तक कुछ नहीं दिख रहा है। करीब पाँच सौ सीढ़ी के बाद पाचवा द्वार मिला श्री गुरु दत्तात्रेय द्वार एवं संस्थान यहाँ से दो अलग अलग रास्ते है। मैंने खाना नहीं खाया है तो मैं  श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान आ गया। यहाँ खाना पानी कि हर भक्त के लिए फ्री उपलब्ध है। मैंने खाना खा कर आराम किया और फिर आगे यात्रा आरम्भ कर दी। पाच बजे मैं श्री गुरु दत्तात्रेय मन्दिर गिरनार घाटी के सबसे उचे शिखर पर खड़ा हूँ। चारो ओर सिर्फ पर्वतों के शिखर दिखाते है ऐसा लगता है जैसे सभी पर्वतों ने पेड़ो कि चादर ओढ़ ली है संध्या काल है सूरज अब अस्त होने हि वाला है। पश्चिम दिशा लाल केशरिया रंग से चमक रही है। मैंने मन्दिर मे प्रवेश किया । श्री गुरु दत्तात्रेय गाय पर विराजमान है। उनके तीन सिर है। एक सर भगवान  ब्रह्मा का दूसरा भगवान विष्णु का और तीसरा भगवान शिव का है। उनके चार हाथ है। कथा के अनुसार एक बार त्रिदेवों ने सती अनुसुया कि परीक्षण लेने गए। तो माता ने उन्हें सिसु रूप मे बदल दिया। और स्तनपान कराया। जब त्रिदेवी ने उन्हें वापिस बड़ा करने का आग्रह किया तो माता ने उन्हें बड़ा कर दिया। तब तीनो देवताओं ने उन्हें पुत्र रूप मे जन्म लेने का वरदान दिया। इस तरह श्री गुरु दत्तात्रेय का जन्म हुआ। 

Today is Holi holiday, do not go to work.  I have got ready early in the morning, because today I have to go to Girnar Mahatirth Yatra.  I am soon on NH 27 Hirasagar road.  After waiting for some time, I got a bus from here to Kuvadva.  It is morning, it is dark all around Ghana.  After a while Kuvdva reached.  Had breakfast at Kuvadva then walked to the bus station.  It's got a little light now.  I've got a motorbike brother.  Seeing me walking, he stopped the motorbike and introduced me to me.  Then seated me on a motorbike and took me to the bus station.  From here I sat in Rajkot bus.  On reaching Rajkot, the sun has set.  Looks very good.  I have taken another bus from Rajkot.  I have to go to Junagadh from here.  It is eight o'clock in the morning, I have come to Junagadh. Junagadh is a very big market.  Here from the market I bought a scarf with Mahakal written on it, the sun is getting hot, so I also bought a cap.  There are many things in this market, nariyal full fruit clothes etc.  I have bought items as per my requirement.  Now I started walking towards Girnar Yatra hill.  There are some people on the way who are showing something with a telescope.  When I asked, he told me that if anyone wants to visit the temple of माँ अम्बाजी from here, then he can see it only for Rs.  I have to go there then what to see from here.  Then there is a temple next to it.  The front is much bigger.  रघुनाथ द्वार is written on its main gate, a Shiva idol is also installed.  I entered through the main door.  There is a very beautiful temple inside, all the pillars are painted with gold.  There is a Shivling in the sanctum sanctorum of the temple.  Very beautiful to look at.  There are other small temples in the courtyard of the temple, in which many different deities are seated.  After worshiping everyone, I started moving towards the next stage of the Girnar Yatra.  It is ten o'clock for me to go to रघुनाथ द्वार.  The sun has risen.  I am starting to climb the hill of Girnar.  I'm watching it climb.  There are shops on both sides of the stairs, there are books in the shops, somewhere there is cold drink, somewhere there is fruit.  There are all things to eat and drink.  With the first door, the stairs are beginning.  He saluted the stairs and started climbing forward.  Teda Meda is the way.  High mountain ranges are made of big stones.  It is twelve o'clock in the day to reach the second door.  It is very hot, the sun is also strong, the sun is directly on the sky.  After taking some rest, I started walking.  Streams of sweat have started flowing from the body, yet I am excited that there are big trees.  And there is a monkey too, all of them are calm and are in the shade of trees.  My feet are starting to hurt now.  Some devotees are with me on the way.  After walking for twenty-five generations, I rest and then I move forward.  At one o'clock I have come to the third door.  This is a huge gate with the structure of the fort.  On either side of the door, there is a sculpture of soldiers on the wall.  Very beautiful to look at.  By doing at the door, we find a Buddhist temple.  There are about fifty Buddhist temples, various types of artwork have been made on them.  There is a door to the temple.  After crossing this gate, I came to Maa Rajola cave.  There is a cave to go to Maa Rajola.  It is written in clear words in front of the cave, do not enter more than five people.  The cave's mouth is very small, a man has to sit and enter to go, I also went inside.  It is like a tunnel between the stones.  There is an idol carved on a stone in the Maa Rajola cave.  I also took the blessings of my mother. Then the further journey started.  From here the road ahead becomes even more difficult.  Sidhi is a steep climb.  Have eaten somewhere.  And now there are no shops.  The throat gets dry again and again.  I wet my throat with suffocating water.  Looking down, the whole city looks small.  Small houses and temples are visible.  At three o'clock I reached the माँ अम्बाजी temple.  The temple is built at a very high height.  There is a huge crowd of devotees.  A lion is visible in front of him as he enters the temple.  In front of him is the Jyotirlinga of the mother.  There is an LED installed in the temple.  He came out after seeing his mother.  According to the story of the mother, when Sati Mata broke up, her abdomen fell here.  Since then माँ अम्बाजी is here in the form of Saktipeeth.  There is also a lift to reach here.  Our journey is not over yet.  I have to take the Ras Yatra to Sri Guru Dattatreya Dham.  There is a small market here.  Where I had breakfast. Then started walking.  The brightness of the sun has diminished now.  A cold wind is blowing.  Apart from the trees around, nothing is visible far and wide.  After about five hundred steps, the fifth door was found, Sri Guru Dattatreya and Sansthan, there are two different paths from here.  I have not eaten food, so I came to श्री गुरु दत्तात्रेय.  Here food and water is available free to every devotee.  I took rest after having food and then started the journey further.  At five o'clock I am standing on the highest peak of श्री गुरु दत्तात्रेय Mandir Girnar Valley.  All around, only the peaks of the mountains are shown, it seems as if all the mountains have covered the sheets of trees, it is evening, the sun is about to set.  The west direction is shining with red saffron color.  I entered the temple.श्री गुरु दत्तात्रेय is seated on a cow.  He has three heads.  One head belongs to Lord Brahma, the second to Lord Vishnu and the third to Lord Shiva.  He has four hands.  According to the legend, once the Tridevs went to take the test of Sati Anusuya.  So the mother changed him into Sisu form.  and breastfed.  When Tridevi requested to bring him back, the mother raised him.  Then all the three gods gave him a boon to be born as a son.  Thus श्री गुरु दत्तात्रेय was born.

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शुक्रवार, मार्च 18

चाहत और भी है-भाग 16 Want more - part 16

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 16

अरु सारा का प्यार जितना पुराना होता जाता है। हर बार एक नई दस्तान बना जाता है। सारा और अरु प्यार के बीच अब कुछ दरारे आने लगी है। दोनों के बीच लड़ाई होने लगी रूठना मानना होने लगा। अरु ने सोचा कुछ तो गड़बड़ है इस तरह से लड़ना अच्छी बात नहीं। क्योंकि वो दोनों बात तो करते है, पर अरु को लगता है कि सारा उससे कुछ तो छुपा रही है। अब फोन पर बात कम हि होती है। कारण ये था कि सारा अब सिलाई सेंटर जाया करती है। लेकिन जब भी वो बात करता है कोई ना कोई कारण से झगड़ा होता है। एक दिन बातों हि बातों मे सारा ने समसम का नाम लेते हुए कहा कि मुझे समसम नाम के लड़के ने प्रपोस किया है। अरु ने पूछा- आप ने क्या कहा?  सारा - मैंने कहा कि मैं किसी से प्यार करती हूँ । आप से प्यार नहीं कर सकती। अरु ने कहा भले हि आप ने मना किया हो पर वो बार बार आपको प्रपोस करेगा। आप उसकी तरफ देखना भी मत। सारा ने हा कहा। पर बात शायद कुछ और हि है। क्योंकि जब भी अरु सारा से बात करता है, सारा कि बातों मे अपना पन नहीं लगता। ऐसा लगता है जैसे वो अरु से बात नहीं करना चाहती। हमेशा बातों को टाल दिया करती है। अरु को लग रहा है ज्यादा समय दूर रहने के कारण ऐसा हो सकता है। ये सोच कर अरु फिर सारा से मिलने का समय निकाला।  फिर वह नवम्बर #)@+ मे सारा से मिलने समानगांव आया। सारा से मिला दोनों बहुत खुश थे दोनों कि नाराजगी दूर हो गई। फिर अरु वापिसी जॉब पर चला आया।



Aru's love for Sara gets older.  Every time a new glove is made.  Now some rifts have started coming between Sara and Aru Pyaar.  A fight broke out between the two and it started to feel upset.  Aru thought that something is wrong, it is not a good thing to fight like this.  Because they both talk, but Aru feels that Sara is hiding something from him.  Now talking on the phone is less.  The reason was that Sara now goes to the sewing center.  But whenever he talks, there is a fight for some reason or the other.  One day, taking the name of 'Samsam', Sara said that a boy named 'Samsam' has proposed to me.  Aru asked - what did you say?  Sarah - I said that I love someone.  can't love you  Aru said that even though you have refused, he will propose you again and again.  Don't even look at him.  Sarah said yes.  But maybe it is something else.  Because whenever Aru talks to Sara, Sara's words don't seem to have any merit.  Looks like she doesn't want to talk to Aru.  Always puts things off.  Aru feels this may happen due to being away for a long time.  Thinking this, Aru again took out time to meet Sara.  Then he came to Samangaon to meet Sara in November #) @ +.  Both of them were very happy that they met Sara, their resentment went away.  Then Aru went back to the job.

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मंगलवार, मार्च 15

चाहत और भी है-भाग 15 Want more - part 15

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 15

अब तक अरु सभी लॉगो को जानने लगा था। सभी से बात करने लगा था। सबसे पहेचान हो गई थी। अरु को सारा का घर अब अपना घर लगने लगा।वो अब यहाँ कभी भी आ सकता हैं। बिना रोक टोक के। उनके बीच रोमेंटिक बातें हुआ करती है। दिन निकलता है बात शुरू हो जाती है रात के सोने तक।वो दोनों गाना गाते है साथ मे। एक दूसरे को शायरी सुनते। काम भी होता रहता बात भी होती रहती। समय बीतता गया और अगस्त मे रक्षाबन्धन१८ हिन्दू त्यौहार आ गया। अरु फिर अपने घर, रक्षाबन्धन मे आया। उसके घर सभी भाई बहिन बुआ फूफा इकठा हुए और भुजलिय रक्षाबन्धन एक साथ मनाया। सारा के घर भी रक्षाबन्धन का त्यौहार मना रहे है। दीदी ने अरु को कॉल किया और बुझाया दीदी के घर रक्षाबन्धन त्यौहार के दूसरे दिन भुजलिया त्यौहार मनाया जाता है। अरु श्याम तक समानगांव दीदी के घर आ गया। दीदी ने राखी बाँधी फिर उन्होंंने खाना खाया। त्यौहार का दिन है तो आज का खाना हम लॉगो के हिसाब से खास होता है। मिठाई बर्फी पूड़ी पापड़ दाल चावल और भी कई पकवान बनाए है। खाना खा कर वो लोग सो गए। सुबह डोल बजा कि आवाज से अरु कि नींद टूटी। कुछ लोग दरवाजे के सामने नाच रहे है कुछ डोल और झाझर बजा रहे है। अरु ने मुँह भी नहीं धोया और अभी बिस्तर से उठा भी नहीं, घर मे कोई नहीं है सब नाच देखने बाहर गए है। सारा अंदर आ गई। लाल रंग कि लिपस्टिक उसे बहुत पसंद है उसने ओठों पर लगायी है मेकअप किया है खूबसूरती को ऐसे निखरा है जैसे कोई परी हो। उसने अरु के गुलाब पर अपना भंवरा बैठा दिया और उसने बहुत देर तक रस पान किया। फिर उसने सामने जा कर दरवाजा बंद कर दिया। अरु को डर और घबराहट दोनों एक साथ लगने लगे। पर सारा बहुत हिम्मती है। उसने कुए मे रस्सी दाल दी और पानी खींचने लगी। जल्दी जल्दी पानी खींचा और दरवाजा खोल कर बाहर चल दी। अरु को परम सुख कि अनुभूति हो रही है। वो उठा और मंजन घिस्ते नहाने आ गया। नहा कर वो तैयार हो गया। फिर नाच देखने बाहर आया। बाहर मे बहुत सारी भुजलिया कि टोकरी(जवारे) रखी है।टोकरीयो के चारों तरफ औरते और लड़कीया कोरस मे परम्पारिक डान्स कर रही है। उन्हीं मे सारा भी नाच रही है।अरु का भी नाचने का मन हो रहा है पर वो नहीं नाच सकता। क्योंकि इस नाच मे मर्दो का नाचना मना होता है। इसी तरह गांव कि बहुत सारी औरते आ गई। धीरे-धीर नाचते गाते तालाब कि ओर बढ़ने लगी। बड़े हर्ष उल्लास के साथ सभी तालाब पर आ गए। सबने अपनी अपनी टोकरी के भुजलिया तालाब मे धो लिए और खुशी खुशी घर आ गए। सारा उसकी दीदी और जीजू के साथ घर आए। अरु भी उनके पीछे-पीछे घर पंहुचा। रास्ते मे उसे भी कुछ लॉगो ने भुजलिय दिए। जो अरु ने हाथ मे हि रखे है। सारा उसकी दीदी और जीजू एक जगह किचन मे खड़े मोबाइल मे आज के फोटो  देख रहे है। अरु भी दबें पाव उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया। सारा ने साड़ी पहनी है,साड़ी मे उसका कमल खिला खिला दिख रहा है। अरु से तो बिल्कुल भी रहा नहीं गया।उसने, सारा के कमल कि पंखुड़ी को जोर से चिमटी काट  दी। वो तुरंत पीछे घूमी। दीदी और जीजू ने भी अरु कि ओर देखा।अरु ने भुजलिया देते हुए। हैप्पी रक्षाबंधन कहा।तब तक सारा ने अरु कि ओर मोबाईल करते हुए कहा।देखो जीजू कितने सुंदर दिख रहे है। अरु ने भी कहा हा जीजू तो दीदी से भी सुंदर दिख रहे है। उनके ओठों पर देखने लायक बड़ी सुंदर मुस्कान है। फिर अरु दीदी के घर आ गया। कुछ देर बाद सारा अरु के पास आकर बोली- मामी पापा बस स्टेशन गए है। दीदी-जीजा को छोड़ने, घर पे कोई नहीं है । मेरी कपड़े टांगने कि खुटी गीर गई है। तो मैंने कहा क्या करना है� सारा ने कहा मुझे खुटी ठुकवानी है। मैं सारा के साथ गया और बहुत देर तक खुटी ठोकने के बाद सारा से विदा ली। दीदी से भी विदा लेकर वहाँ से घर के लिए निकल गया।

This story is completely fictional, it has nothing to do with any person, thing, or place.

 Want more - part 15

By now Aru had started knowing all the logos.  Started talking to everyone.  Most recognized.  Aru started feeling Sara's house as his home now. He can come here anytime now.  without stopping.  Romantic things happen between them.  The day passes and the talk starts till the night sleeps. They both sing a song together.  Listening to each other's poetry.  The work kept happening and the talk kept happening.  Time passed and in August the 18th Hindu festival of Rakshabandhan arrived.  Aru again came to his house, Rakshabandhan.  All the brothers and sisters and uncles gathered in his house and celebrated Bhujaliyar Rakshabandhan together.  Sara's house is also celebrating the festival of Rakshabandhan.  Didi calls Aru and extinguishes Didi's house. On the second day of Rakshabandhan festival, Bhujaliya festival is celebrated.  Till Aru Shyam came to Samagaon didi's house.  Didi tied rakhi and then they ate food.  It is a festival day, so today's food is special according to us.  Sweets, Barfi, Poori, Papad, Dal, Rice and many other dishes have been prepared.  After eating, they went to sleep.  In the morning, Aru's sleep was broken by the sound of trembling.  Some people are dancing in front of the door, some are playing dol and jhajhar.  Aru has not even washed his face and has not even got up from the bed yet, there is no one in the house, everyone has gone out to watch the dance.  Sara came inside.  She loves red lipstick, she has applied makeup on her lips, has made her beauty look like an angel.  He put his whirlpool on Aru's rose and he drank the juice for a long time.  Then he went to the front and closed the door.  Aru felt both fear and panic at the same time.  But Sarah is very courageous.  He put a rope in the well and started drawing water.  Quickly drew water and opened the door and went out.  Aru is feeling supreme happiness.  He got up and Manjan came to take a bath.  He got ready after taking a bath.  Then came out to watch the dance.  A lot of Bhujaliya baskets (jawars) are kept outside. Women and girls are doing traditional dance in chorus around the baskets.  Sara is also dancing in them. Aru also wants to dance but he cannot dance.  Because dancing of men is forbidden in this dance.  Similarly many women of the village came.  Slowly dancing and singing started moving towards the pond.  Everyone came to the pond with great joy.  Everyone washed their baskets in the Bhujaliya pond and happily came home.  Sara came home with her didi and jiju.  Aru also followed them to the house.  On the way, some people gave him Bhujaliya too.  Which Aru has kept in his hand.  Sara, her didi and jiju are looking at today's photos in the mobile standing in the kitchen at one place.  Aru also stooped and stood behind him.  Sara is wearing a sari, her lotus flower is seen in the sari.  Aru did not stay away at all.  She immediately turned back.  Didi and Jiju also looked at Aru. Aru gave Bhujaliya.  Said Happy Rakshabandhan. Till then Sara turned towards Aru and said. Look how beautiful Jiju is looking.  Aru also said that yes, Jiju is looking more beautiful than Didi.  There is a beautiful smile on his lips to see.  Then Aru came to Didi's house.  After some time, Sara came to Aru and said – Mami Papa has gone to the bus station.  There is no one at home except Didi and brother-in-law.  The hook to hang my clothes has fallen.  So I said what to do? Sara said I have to give up.  I went with Sarah and after a long time took a break from Sarah.  After taking farewell from Didi, he left for home from there.

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शुक्रवार, मार्च 11

माँ चामुन्डा देवी दर्शन

सभी दोस्तों को आज सबसे पहले जय माता माँ। मैं आज माता चामुन्डा देवी दर्शन के लिए जा रहा हूँ। आप सभी के आशीष से माता रानी का आज बुलावा आया है। अभी मै ऐरपोर्ट प्रोजेक्ट रजकोट, जो कि हीरासागर बामनबोर मे काम चल रहा है, यहाँ हूँ। रात को काम करके सुबह सुबह हि रूम पहुचा हूँ। मेरे एक दोस्त ने कहा सर मुझे माता चामुन्डा देवी के दर्शन करने कि इच्छा हो रही हैं। मैंने कहा तो देर किस बात कि चलो माता रानी के दर्शन करके आ जाते है। हमने नहा कर नास्ता किया है और कुछ खाने पीने का सामान बेग मे रख कर यात्रा आरम्भ कर रहे है। कुछ दूर पैदल चलने के बद हम पास वाले हाईवे पर आ गए है। हाईवे 27 है, जो राजकोट गुजरात से अहमदाबाद गुजरात को जोड़ता है। यहाँ से 25 km पीछे राजकोट है, और चोटीला जाहा हमें जाना है 25 km आगे है। हम यहाँ से ऑटो मे  बैठ गए है। रास्ते मे जिधर भी देख रहा हूँ सभी दूर फैक्ट्रियां हि दिखाई दे रही है। एक बात तो है यहाँ के लॉगो को रोजगार कि कोई कमी नहीं है। हम चोटीला शहर आ गए है। ऑटो ने हमें बस स्टेशन पर उतारा है और हमें 40-40 रू किराया लगा है। यहाँ से हम देख रहे है कि सभी ओर दुकाने है। यह एक धार्मिक जगह है इसलिये यहाँ कई धर्मशाला और बड़े बड़े होटल है यदि कोई रुकना कहता है तो सभी प्रकार कि सुविधा याहा है। यहाँ से अहमदाबाद कि दुरी 166 km है। यहाँ आने के लिए राजकोट या अहमदाबाद से बस मे आना हि सबसे सही रास्ता है। ये शहर बहुत बड़ा है। फल फुल बेचने वाले ने मेरा हाथ पकड़ कर उसकी दुकान पर ले आया। मैंने यहाँ से नारियल फुल माला और प्रसाद ख़रीदा है। और आगे बढ़ रहे है यहाँ आगे भी बहुत सी दुकानें है ।कोई खिलोने बेच रहा है कोई कपड़े और कई तरह के सामान कि खरीदी-बेची जा रही है। हमने जो प्रसादी का सामान ख़रीदा है वो हमें दुगनी कीमत मे दिया है ये बात हमें आगे कि फल फुल कि दुकान पर पता चला है। हमने तो खरीद लिया है। यदि आपका यहाँ आना हो और माता आप को बुलाए तो यहाँ के लॉगो से थोड़ा सावधानी बरतने कि जरुरत है। बाजार बहुत सुन्दर हैं और बड़ा भी है, सभी प्रकार कि चीज़ खरीद सकते है दुकानें देखते देखते एक बड़े से द्वार पर आ गए है। देखने मे काफी बड़ा है और सुंदर भी है। इस तरह का एक द्वार हमने पहले भी पार किया है। जब हम हाईवे से बाजार मे प्रवेश कर रहे थे। इस द्वार को पार करते हि हमें एक बागीचा(गार्डन) दिखाई दे रहा है। और ये बागीचा(गार्डन) एक पार्किंग भी है जिसमें ढेरों कार और मोटरबाइक पॉर्क है। यदि कोई भक्त  यहाँ कार या बाइक से आए तो उसके किये ये पार्किंग स्थल सही है। कुछ और आगे बढ़ते हुए हम माता रानी की पहाड़ी(डुमर) के पास आ गए है यहा एक प्रमुख द्वार है बहुत हि आकर्षक है द्वार के दोनों ओर बैठने कि कुर्सी लगायी हुई है। प्रक्राति कि गोद मे बना ये स्थान बहुत शांति और सुकून देने वाला है। यहाँ से माता का मन्दिर दिखाई दे रहा है। यहाँ से लेकर माता के मंदिर तक सीढ़ियों का रास्ता है ।पूरे रास्ते पर टीन सेट लगा है जो पूरे रास्ते को छाया दे रहा है। यही एक एक सीढ़ियों को पर करके  सब बक्तो को पहाड़ी (डुमर) पे चढ़ते है तभी माता मंदिर तक पहुचते है। मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय चैत्र नवरात्र का है ऐसा स्थानीय लॉगो का मनना है कि माँ दुर्गा के नो रूप है उनमे से एक चामुन्डा माँ  भी है। माँ चामुन्डा के साथ हि उनकी आठ योगिनी भी होती है। तथा साथ मे एक भैरों बाबा भी है। मैंने भी सीढियां चढ़ना शुरू कर दिया है। साथ हि मैं अपने फोन से विडीओ भी रिकॉड कर रहा हूँ। आप भी देखे - माँ चामुन्डा देवी यात्रा करते हुए रास्ते के दोनों ओर पेड़ लगे है उपर जाने के लिए अलग सीढिया है और नीचे आने के लिए अलग सीढियां है। रास्ते के दोनों और लोहे के पाईप कि रेलिंग लगी है बीच बीच मे पंखे और लाइट भी लगे है। सब देख कर मेरा मन बहुत खुश हो रहा है। सबसे बड़ी बात यहाँ हर तीस पैतीस सीढ़ियों के बाद पीने के पानी कि वेवस्था है। मैं वीडियो बनाता हुआ उपर जा रहा हूँ। हमें प्यास नहीं लग रही है फिर भी हम थोड़ा थोड़ा पानी पी लेते है। जैसे जैसे हम उपर चढ रहे है वैसे वैसे शहर हमसे दूर होता जा रहा है। जो घर माकन पास से बड़े बड़े दिख रहे थे वो अब छोटे छोटे दिखते है। जहां शहर का छोटा हिस्सा दिखता था वहीं अब पूरा शहर दिखाई दे रहा है।ये दृश्य मेरी आँखो को अलग हि दुनिया का अनुभव करा रही है। गर्मियों में ये चढ़ाई थोड़ी मुश्किल हो सकती है।लगभग आधी सीढिया पार करने के बाद मुझे भैरों बाबा का मदिर मिला है हमने बाबा के दर्शन किये और जय माता चामुन्डा देवी बोलते हुए आगे बढ़ते है। पहाड़ी की तलेटी से ऊपर पहुंचने  मे हमें करके करीब 1.5 घंटे का समय लग गया है। करीब 600 से ज्यादा सीढियां चढ कर हमने माता के मंदिर मे प्रवेश किया। माँ चामुन्डा के दर्शन अलौकिक है अद्भुद है मंदिर मे आते हि हमारी सारी थकान मिट गई सब दर्द गायब हो गए । जो भी भक्त यहाँ आते है माँ चामुन्डा के सामने हाथ  जोड़ कर बैठ जाते है। हमने भी माता के दर्शन कर लिए है हमारा यहाँ से जाने का मन हि नहीं कर रहा है। लग रहा है बस माँ के सामने बैठे हि रहे। बाहर आ गया हूँ यहाँ से शहर पहाड़ी के चारों ओर दूर दूर तक फैला हुआ है देखा जा सकता है ।यहाँ एक और अद्भुत बात देखने को मिली हमने देखा वहाँ जाने वाले भक्त छोटे-छोटे सात या नव पत्थर एक के ऊपर एक रखते है और कुछ मन्नत मांगने है। हम भी माता कि पूजा कर रहे है नारियल तोड़ा। प्रसाद अर्पण किया माता को चुन्नी अर्पण कर रहा हूँ। हमारी यात्रा अभी और बाकी है यही पर मुख्य मन्दिर के निचे और एक मंदिर है हमने उसमें एक सन्क्रे रास्ते से प्रवेश करते हुए अंदर आया। देखा अंदर का नजारा और भी पावन है भक्ती मेरे रोम रोम मे समां रही है यहाँ कुछ साधु ध्यान मग्न बैठे है। माला जप कर रहे है। यहाँ इतनी साकारात्मक ऊर्जा का सन्चार हो रहा है।ये साकारात्मक ऊर्जा मेरे तन मन को प्रसन्न करने वाला है असीम आनन्द असीम सुख आप भी अनुभव करना चाहो तो एक बार जरूर आना। अब हम दोनों एक जगह बैठ गए।हमने कुछ खाने पीने का सामान लाया है तो हाथ धो लेते है। इतने उपर आ कर खाना खाते हुए बहुत अच्छा लग रहा है।  हम अब वापिस उतर रहे है ना तो नेरा उत्साह कम हुआ ना वहाँ कि खूबसूरती हा पर अब मेरे पैरों ने जरूर जवाब दे दिया। मेरे दोनो पैर काँप रहे है मैं आगे बढ़ना चाहता हूँ पर पैर कापने के कारण बैठ हि गया। आधे घंटे आराम करके फिर चलाने लगे। वापिस हम मुख्य द्वार पर आ पहुच गए। वहाँ पर हमने पहले नहीं देखा था , यहाँ चार शेरो के मुख वाली मूर्ति राखी है जो बहुत सुंदर है।  पास हि माँ चामुन्डा देवी का एक ओर मंदिर है ये भी बहुत सुंदर है अंदर से ताजे फूलो कि मालओ से सुस्जित है बीच मे माँ चामुन्डा देवी कि मूरत है । वहीं उसके    चारो ओर माँ दुर्गा, माँ काली समेत कई देवी और देवताओं कि मुरतिया है जो बहुत प्यारी-प्यारी है।

वीडियो देखे- माँ चामुन्डा देवी यात्रा

जय माँ चामुन्डा देवी।

First of all Jai Mata Maa to all friends.  Today I am going for Mata Chamunda Devi Darshan.  With the blessings of all of you, Mata Rani's call has come today.  Right now I am here at Airport Project Rajkot, which is going on in Hirasagar Bamanbore.  After working at night, I reached my room in the morning.  A friend of mine said sir I am wishing to have darshan of Mata Chamunda Devi.  If I said, then what is the matter, let's come after seeing the mother queen.  We have had breakfast after taking a bath and are starting our journey by keeping some food items in the bag.  After walking some distance, we have come to the nearby highway.  Highway 27, which connects Rajkot Gujarat to Ahmedabad Gujarat.  Rajkot is 25 km behind from here, and Chotila where we have to go is 25 km ahead.  We have sat in the auto from here.  Wherever I am looking on the way, I can see all the distant factories.  One thing is that there is no shortage of employment for the people here.  We have come to the city of Chotila.  The auto dropped us at the bus station and charged us Rs 40-40.  From here we can see that there are shops everywhere.  This is a religious place, so there are many dharamsalas and big hotels here, if someone asks to stay, then all kinds of facilities are there.  From here the distance of Ahmedabad is 166 km.  The best way to come here is by bus from Rajkot or Ahmedabad.  This city is very big.  The fruit seller took my hand and brought it to his shop.  I have bought coconut flower garland and prasad from here.  And moving forward, there are many shops here too. Some are selling toys, some clothes and many types of goods are being bought and sold.  The prasad items that we have bought have been given to us at double the price, we have come to know that in the fruit flower shop.  We have bought it.  If you have to come here and mother calls you, then there is a need to be a little careful with the logos here.  The market is very beautiful and also big, you can buy all kinds of things, shops have come to a big gate.  It is very big to look at and beautiful too.  We have crossed a gate like this before.  When we were entering the market from the highway.  As we cross this gate, we see a garden.  And this garden is also a parking lot with lots of car and motorbike park.  If any devotee comes here by car or bike, then this parking place is right for him.  Moving forward some more, we have come to the hill (Dumar) of Mata Rani, there is a main door, very attractive, there is a sitting chair on either side of the door.  This place built in the lap of nature is very peaceful and relaxing.  Mother's temple is visible from here.  From here to the temple of the mother, there is a path of stairs. There is a tin set on the entire way, which is giving shade to the entire path.  By doing this one step at a time, everyone climbs the hill (Dumar) and then only the mother reaches the temple.  The best time to visit the temple is during Chaitra Navratri. Local people believe that there is no form of Maa Durga, one of them is Chamunda Maa.  Along with Mother Chamunda, she also has eight Yoginis.  And there is also a Bhairon Baba along with it.  I have also started climbing stairs.  Also I am recording video from my phone.  If you want to see the video click on - माँ चामुन्डा देवी यात्रा Trees are planted on both sides of the path, there is a separate step for going up and there is a separate step for coming down.  There is a railing of iron pipes on both sides of the road and fans and lights are also installed in the middle.  I am feeling very happy seeing all.  The biggest thing here is the provision of drinking water after every thirty-five steps.  I am going above making a video.  We are not feeling thirsty, yet we drink little water.  As we are going up, the city is getting away from us.  The houses which used to look big from close by are now small and small.  Where a small part of the city was visible, now the whole city is visible. This scene is making my eyes feel a different world.  In summer, this climb can be a bit difficult. After crossing almost half the steps, I have found the temple of Bhairon Baba, we have darshan of Baba and proceed forward by chanting Jai Mata Chamunda Devi.  It took us about 1.5 hours to reach the top of the hill.  After climbing more than 600 steps, we entered the temple of Mata.  The darshan of Maa Chamunda is supernatural, it is wonderful when we came to the temple, all our tiredness disappeared, all the pain disappeared.  The devotees who come here sit in front of Mother Chamunda with folded hands.  We have also seen the mother, we do not feel like going from here.  Looks like just sitting in front of mother.  I have come out, from here the city is spread far and wide around the hill. Another wonderful thing was seen here, we saw that the devotees going there keep small seven or new stones one on top of the other and  Have to pray for something.  We are also worshiping the mother, breaking the coconut.  Offering prasad, I am offering chunni to mother.  Our journey is yet to come, but there is another temple under the main temple, we entered it by entering through a narrow path.  Saw the sight inside is even more pure. Bhakti is engulfing me in my Rome and here some sadhus are sitting in meditation.  Chanting the rosary.  So much positive energy is being circulated here. This positive energy is pleasing to my body and mind, infinite joy, infinite happiness, if you want to experience it, then definitely come once.  Now both of us sit in one place. We have brought some food items and then we wash our hands.  It feels so good to come up there and eat food.  We are coming back now, neither the enthusiasm has diminished nor the beauty is there, but now my feet have definitely given an answer.  Both my legs are trembling, I want to move forward but due to the trembling of my feet, I have to sit down.  After resting for half an hour, he started running again.  Back we reached the main gate.  There we had not seen before, here there is a Rakhi idol with four lion faces which is very beautiful.  Nearby there is another temple of Goddess Chamunda Devi. It is also very beautiful. It is decorated with fresh flowers from inside. In the middle is the idol of Goddess Chamunda Devi.  At the same time, there are idols of many gods and goddesses including Maa Durga, Maa Kali, which are very lovely. 

If you want to watch the video click on माँ चामुन्डा देवी यात्रा

Jai Maa Chamunda Devi.


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मंगलवार, मार्च 8

चाहत और भी है-भाग 14 Want More - Part 14

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 14

इश्क ने मेरा वो हाल किया

ना रूह मेरी रही ना जिस्म मेरा रहा।

प्यार ने मेरा हाल बेहाल किया

ना रही रातो कि नींदें ना दिन का चैन रहा।

सारा अब बहुत सुन्दर लगती है।उसकी बातें बहुत प्यारी लगती है। यदि अरु एक दिन भी उसकी आवाज ना सुने तो उसका मन बेचैन हो जाता है। खाना भी नहीं खाता। बिल्कुल वैसे हि, जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है वैसे हि उसका भी हाल होता है। अरु को उसकी लत हो गई है।(एक दिन बातों हि बातों मे अरु ने मुझसे कह- सारा मुझे कितना चाहती है। मैं उसे कितना चाहता हूँ। या तो सारा जानती हैं या मैं जनता हूँ।  सारा से बात करते करते कई घंटे बीत गए, कई दिन कई रात निकल गए। और धीरे-धीर ये दिन महीनों मे बदल गए। हमारा प्यार बढ़ता हि जा रहा है। एक साल पूरा हो गया आज छब्बिस जनवरी 2019 सारा अब मुझसे मिलना चाहती है मेरा भी मिलने का पूरा विचार है पर छुट्टी नहीं मिल रही। मेरे दोस्त बता अब क्या करुँ।) मैंने कहा- सारा को बता दो अपनी मज़बूरी। अब अरु ने सारा से कहा - सारा अभी छुट्टी नहीं मिल रही आप को थोड़ा इंतजार करना होगा मैं मार्च मे आप से मिलने आऊँगा। सारा - मार्च बहुत दूर लग रहा है अरु, अब मुझसे ये दुरी नहीं सही जा रही। मुझसे अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा आप को आना हि पड़ेगा। अरु- सारा मुझे मार्च मे छुट्टी मिल रही है। आप से मिलने मार्च मे आऊँगा। सारा - ठीक है अरु मैं इंतजार कर रही हूँ।

हा इंतजार तो करना हि है। पर बिना सारा के अब अरु भी जैसे अधूरा हि है। जब तक अरु को मालूम नहीं था कब घर जाना है, वो ज्यादा नहीं सोचता था। पर अब कुछ ज्यादा हि सोच रहा है। सारा से कैसे मिलना होगा कब कैसे कहा।ये सब प्लानिंग करना बहुत मुश्किल लगता है कई तरह के विचार है। कोनसा सही है ये समझ नहीं आ रहा। अरु को छुट्टी मिलते हि वो घर के लिए चला, वह एक दिन मे हि  घर पहुंचा। फिर एक दिन आराम किया। सारा अरु को बार बार बुला रही है। फोन पर फोन किये जा रही है। उसने अरु से कहा आज मम्मी पापा खेत मे रुकेंगे आप मेरे पास आ जाओ। अरु ने कहा हा आता हूँ। गज़ब का नशा उसके उपर चढकर बोल है।ना जाने कहा से इतनी हिम्मत उनके अंदर आ रही है। वो दोपहर दो बजे घर से निकल गया। श्याम आठ बजे सारा के गांव, समानगांव बस से पहुँच गया। सीधे-सीधे सारा के घर तो जा नहीं सकता था। इसलिय उसने मुख्य रास्ता छोड़ कर खेतों से घूम कर जाने को निकल गया। चारों तरफ अँधेरा है।  उसके पास मोबइल है पर टार्च नहीं चालू कर रहा। हो सकता है कोई उसे देख ले। एक खेत से गुजरते हुए बड़े बड़े माट्टी के ढेले उसके पैैैरों मे लग रहे है। मेड पार करते हुए फेन्सिंग के काटे भी चुभ गए। अभी परेशानी खत्म नहीं हुई कि एक बड़ी परेशानी सामने खड़ी हो गई। सामने रेल लाइन तो पार कि और एक खेत मे पहुंचा। उसे अचानक कुछ लोग दिखे। वो अरु से काफी पास हि है। उनके पास टार्च भी है। एक बड़े से चूल्हे मे आग जला रहे है। अरु जल्दी से इमली के पेड़ के तने के पीछे छीपा। उसने देखा वो लोोग शराब बना रहे है। अरु जिस ओर छिपा हुआ है उस  ओर एक घर भी है जो सुनसान है लग रहा है सब सो रहे है। घर के सामने हि गाय बैल बंधे है। घर के पार, पास ही एक नाला भी है। अरु को समझ मे नहीं आ रहा  कि वह किस ओर जाए, बहुत सोचने के बाद वह नीचे बैठा, दोनों घुटने ज़मीन पर टेक दिए दोनों हथेली ज़मीन पर रख दी और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उस खेत के छोटे-छोटे पत्थर उसके घुटनो मे लगते है काटे के छोटे-छोटे पौधे है जो उसके हाथों और पैरों मे बार बार चुभ रहे है। इस तरह वह उनकी पहुच से थोड़ा दूर आ गया। फिर खड़ा हुआ और जल्दी से नाले के किनारे आया। रुमाल से अपने हाथ पैर साफ कर के नाले के किनारे-किनारे एक कच्चे रास्ते पर पहुच गया। अरु को अब थोड़ी खुशी महसूस हुुई। क्योंकि ये रास्ता सारा के घर के पास हि जाता है बीच मे एक पडोसी का घर है। सारी मुस्किले पार करते हुए रात के ग्यारह बज गए। सारा का फोन आया उसने कहा पीछे वाले घर के पीछे से आ जाओ। अरु नहानी तक, पीछे के रास्ते पहुंचा। वहाँ काटे रखे है, अरु को  देख कर सारा का कुत्ता भौंकने लगा। कुर्त्तेे को सारा  ने शांत किया फिर सारा ने जल्दी से काटे हटाये और वो दोनों अंदर वाले आंगन से फिर पीछे के दरवाजे से घर के अंदर आ गए अरु को बहुत भूख लगी हुई हैै। उसने कहा मुझे खाना चाहिए। सारा ने हाथ धुलने को पानी लाया।अरु ने अपने हाथ धोने को आगे किया।सारा ने देखा अरु के हाथो से खून बह रहा है। सारा - ये क्या हुआ कैसे ? अरु-बाद में बताता हूँ अभी भूख लग रही है। सारा ने  हाथ धुलाकर चुन्नी फाड़ कर अरु कि हथेली बाँध दी। और खाना परोस कर ले आयी। अरु को बड़ी प्यार भारी निगाहो से देख रही है और खाना खिला रही है। सारा के हाथो से खाना खा कर पूरा दर्द दूर हो गया। बहुत आनंद का अनुभाव हो रहा है। अरु ने पेट भर खाना खाया। फिर सारा अरु कि गोद मे बैठी और चुम्बन करने लगी। अरु के पैरों के दर्द से थोड़ा कराह, सारा ने कहा क्या हुआ अरु? फिर अरु ने रास्ते कि सारी घटना सुनाई। सारा ने थोड़ा तेल गरम किया और अरु के पेंट को उतार कर उसके जख्मों पर मालिश करने लगी। धीरे-धीरे प्यार भरी बातें करते करते एक दूजे मे खो गये। अरु ने आते समय माता मंदिर से एक धागा लाया है, उसे सारा के गले मे बाँधा। वो चार बजे तक साथ रहे। सारा बाहर निकली, इधर-उधर देखती हुई बाहर आने का इशारा किया। अरु के  बाहर आते हि सारा ने गले से लगा लिया। फिर अरु गांव के अंदर के रास्ते से चला आया।


Ishq did that to me

 Neither my soul nor my body was mine.

 love hurts me

 There was no sleep of nights, there was no peace of day.

 Sara looks very beautiful now. Her words are very sweet.  If Aru does not listen to his voice even for a day, his mind becomes restless.  Doesn't even eat food.  Just as a fish suffers without water, so does it.  Aru has become addicted to her. (One day in a matter of words, Aru told me - how much Sara loves me. How much I want her. Either Sara knows or I know. Many hours passed while talking to Sara.  Gone, many days, many nights passed. And gradually these days turned into months. Our love is increasing. One year has completed today 26 January 2019 Sara now wants to meet me, I also have full thoughts of meeting  But I am not getting leave. Tell my friend what should I do now.) I said - tell Sara your helplessness.  Now Aru said to Sara - Sara is not getting leave now, you will have to wait a bit, I will come to meet you in March.  Sara - March seems far away Aru, now this distance from me is not going right.  I can't control now, you have to come.  Aru- Sara I am getting leave in March.  I will come to see you in March.  Sara - Ok aru I am waiting.

 Yes, you have to wait.  But now Aru is incomplete without Sara.  As long as Aru didn't know when to go home, he didn't think much.  But now I am thinking a bit more.  How to meet Sara, when and how. It seems very difficult to plan all this. There are many types of ideas.  I do not understand which is correct.  When Aru got leave, he left for home, he reached home in a day.  Then one day rest.  Sara is calling Aru again and again.  Phone calls are being made.  He said to Aru, today mom and dad will stay in the field, you come to me.  Aru said yes I will come.  Amazing intoxication is rising over him. I don't know from where so much courage is coming in him.  He left the house at two o'clock in the afternoon.  Shyam reached Sara's village, Samagaon by bus at eight o'clock.  Couldn't go straight to Sara's house.  So he left the main road and went out to walk through the fields.  There is darkness all around.  He has mobile but the torch is not turning on.  Maybe someone can see him.  While passing through a field, huge lumps of earth are being felt at his feet.  The bites of the fencing were also pricked while crossing the maid.  The trouble was not over yet that a big problem had arisen in front.  He crossed the railway line in front and reached a field.  Suddenly he saw some people.  He is very close to Aru.  He also has a torch.  Fire is burning in a big stove.  Aru quickly hid behind the trunk of the tamarind tree.  He saw that they were making liquor.  On the side where Aru is hiding, there is also a house which is deserted, it seems everyone is sleeping.  A cow and a bull are tied in front of the house.  Across the house, there is also a drain nearby.  Aru is not able to understand which direction he should go, after much thought he sat down, knelt down on the ground, put both palms on the ground and slowly started moving forward.  Small stones of that field are stuck in his knees, there are small cut plants which are pricking his hands and feet again and again.  In this way he came a little far away from their reach.  Then stood up and hurriedly came to the bank of the creek.  After cleaning his hands and feet with a handkerchief, he reached a rough path along the banks of the drain.  Aru felt a little happy now.  Because this road goes near Sara's house, there is a neighbor's house in the middle.  It was eleven o'clock in the night after crossing all the difficulties.  Sara's call came, she said come from behind the back house.  Aru reached Nahani, by the way back.  There are bites, seeing Aru, Sara's dog started barking.  The kurta was pacified by Sara, then Sara quickly removed the bites and both of them came inside the house from the inner courtyard again through the back door. Aru is very hungry.  He said, "I want to eat."  Sara brought water to wash her hands. Aru proceeded to wash her hands. Sara saw that Aru's hands were bleeding.  Sarah - How did this happen?  Aru - I'll tell you later, I am feeling hungry now.  Sara washed her hands and tore the sardine and tied Aru's palm.  And served the food and brought it.  Aru is watching with great love and feeding her food.  After eating food from Sara's hands, all the pain went away.  Feeling very happy.  Aru ate his full stomach.  Then Sara sat on Aru's lap and started kissing.  Aru's feet groaned a little, Sara said what happened Aru?  Then Aru narrated the whole incident along the way.  Sara heated some oil and took off Aru's paint and started massaging his wounds.  Slowly, while talking about love, they got lost in each other.  While coming, Aru has brought a thread from Mata Mandir, tied it around Sara's neck.  They stayed together till four o'clock.  Sara came out, looked around and signaled to come out.  As Aru came out, Sara hugged him.  Then Aru walked through the inside of the village.

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बुधवार, मार्च 2

शिव भजन Shiva Bhajan

बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम

डम डम डम डम डमरू बजायी।
अरे गज़ब कि डमरू तूने बजायी
संग संग नाचे ये जग सारा ये जग सारा।
पी रहा भांग का प्याला रे भांग का प्याला।
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम

तेरी जटा से बेहती जाए, रे जाए गंगा।
कल कल कल कल गाए, रे गाए गंगा।
खुशियाँ बाटे घर आँगन मे माते गंगा।
पाप मिटाये पल भर मे हि माते गंगा।
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला 
बम बोला बम बोला बम बोला बम
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम

चन्द्र मुकुट है सर्पों माला।
भस्म लगाए लगे है प्यारा।
तू अनादि है, तू अन्नत है।
शुरुवात तू, तू हि अंत है।
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम
बम बोला बम बोला बम बोला बम बोला
बम बोला बम बोला बम बोला बम


Played Dum Dum Dum Dum Dumroo.
Oh wonderful that you played the damru
Dance together, this world, this world, the whole world.
The cup of cannabis is drinking the cup of cannabis.

Ganga flowing through your hair.
Ganges sang kal kal kal kal.
Happiness is shared in the courtyard of the house,
Ganga to erase sins in a moment.
 
 Moon crown and snake garland.
 Sweet is being consumed.
 You are the beginning, you are the eternal.
 You are the starting, you are the end.

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मंगलवार, मार्च 1

मैं हिंदुस्तान का i am hindustani

मेरा दुःख इस बात से नहीं कि तुम क्या क्या करते।
दुःख इस बात से हैंं तुम्हें जो करना है वो नहीं करते।

ना पोलीटीकल पार्टियों से है
ना सरकारी ऑफिसरों से है
ना बड़े बड़े दानिस्वरो  से है
मेरी शिकायत हर हिन्दुस्तानी से है।
मेरा दुःख इस बात से नहीं कि तुम क्या क्या करते।
दुःख इस बात से हैंं तुम्हें जो करना है वो नहीं करते।

इतना पैसा छुपाकर कहा ले कर जाएँगे।
इतना बोझ दिल पर रख कर कहा जाएँगे।
देश का थोड़ा भला तो कर हि सकते है।
गरीबी से निकाल दो तुम भगवान बन जाएँगे।
मेरा दुःख इस बात से नहीं कि तुम क्या क्या करते।
दुःख इस बात से हैंं तुम्हें जो करना है वो नहीं करते।

मैं इस जाती का तू उस जाती का
मैं शहर का हूँ भाई तू तो गाँव का
बाट कर लकीरो मे क्या मिलेगा देश को
सब हाथ पकड़कर कहो मैं हिंदुस्तान का
मेरा दुःख इस बात से नहीं कि तुम क्या क्या करते।
दुःख इस बात से हैंं तुम्हें जो करना है वो नहीं करते।

My sorrow is not about what you do.
 The sorrow is that you do not do what you want to do.

 not from political parties
 not from government officials
 nor is it from the great
 My complaint is with every Indian.
 My sorrow is not about what you do.
 The sorrow is that you do not do what you want to do.

 Where would you go by hiding so much money?
 Putting such a burden on the heart, it will be said.
 You can do a little good for the country.
 Get out of poverty you will become God.
 My sorrow is not about what you do.
 The sorrow is that you do not do what you want to do.

 I belong to this caste, you belong to that caste
 I am from the city brother you are from the village
 What will the country get by dividing the lines?
 Holding everyone's hand say that I belong to India
 My sorrow is not about what you do.
 The sorrow is that you do not do what you want to do.

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