जो मिला मनुष्य को काफी था। मगर जब मनुष्य संतुष्ट नहीं हुआ, तो उसने अपनी संतुष्टि के लिए, नदी नाले बांध दिए, कहीं पेड़ काटेे कहीं सड़क बना दी कहीं घर बना दिए कहीं खेत और खलिहान बना दिए। और कही सरहदें बना दी। रोजमर्रा की जिंदगी में मनुष्य हर तरह से, हर दिन,इस प्रकृति को इस धरती को किसी ना किसी वजह से छिन्न भिन्न कर रहा है,अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए, तो अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए। आज मनुष्य इस धरती के अलावा अन्य ग्रहों पर भी अपनी दृष्टि गडाए हुये हैं। बड़ा ही अजीब सा हो गया है मनुष्य,आपस में लड़ता है एक दूसरे को मारता है और इस प्रकृति को हानि पहुंचाता है। हम किसी दूसरे मनुष्य को मार रहे हैं,यह सोच कर बड़े-बड़े बम परमाणु बम हमले की बातें करता है, परमाणु बम क्या है यह सब आप अच्छी तरह से जानते हैं।हम सब जान कर भी अंजान है कि, जितना अधिकार इस धरती पर मनुष्य का है। उतना ही अधिकार अन्य जीव जंतु पेड़ पौधों का भी है। परंतु यह सब सोचने के लिए मनुष्य के पास समय ही नहीं है,इस बात से अनभिज्ञ होकर मनुष्य ना ना प्रकार के कर्म करता है।अन्य जीवो को तुच्छ जानकर, उन्हें खत्म करने में लगा हुआ है। कई तरह के विषैली चीजें इस प्रकृति में फैला रखी हैं। जिससे कई पशु पक्षी विलुप्त हो चुके हैं,और कई विलुप्त होने की कगार पर है।गर्मियों के मौसम में पक्षियों को पानी देना, उन्हें खाना देना इस तरह की दिखावटी बातें हर कोई करता हुआ दिखाई देगा, लेकिन यह कितना सच है, हम और आप अच्छी तरह से जानते हैं, की कौन कितना पशु पक्षियों की देख भाल करता है और कौन किसकी सहायता करता है। और ऐसी स्थिति पैदा हुई कैसे यह भी सब जानते हैं। रोबोट 2.0 ऐसी एक फिल्म है जिसमे पक्षियों के संरक्षण की बात कही गई ,परंतु क्या हम इस फिल्म से कुछ सीख पाये या नहीं? या फिर अपनी विनाश लीला आगे जारी रखेगे। हम अपनी जरूरतो के अलावा किसी को कुछ नही समझते है, चाहे कोई मर जाए या धरती से चला जाए। इंसानों को किसी कि क्या परवाह है। जब मनुष्य, मनुष्य का भला नहीं चाहता है,तो पृथ्वी का क्या भला सोचेगा। इस विनाशलीला मे मनुष्य से कब तक बची रह सकती है ये धरती।और मनुष्य का क्या होगा? मनुष्य क्या करेगा जब कहीं आग होगी और कहीं होगा तेजाब, हाँ क्योंकि आसमान से पानी की जगह तब तेजाब कि बरसात होगी। आखिर कौन जीतेगा मनुष्य या धरती?
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