शुक्रवार, जुलाई 22

चाहत और भी है-भाग 23


यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 23

रिश्ते बनाना आसान है। तोड़ना भी आसान है। निभाना बहुत हि कठिन है। समय जिस स्पीड से चल रहा है उस स्पीड से उन दोनों कि जिन्दगी मे उथल पुथल हो रही है। लड़ते है झगड़ा करते है। रूठ कर मनाते भी है। जितना सुलझते है उतना फिर उलझ जाते है। जिन्दगी के फसने ना मैंने जाने ना तूने जाने। बिखरी हुई जिंदगी को सँभालने कि कोसिसे करते सारा और अरु। गलती को सुधार कर आगे बढ़ना चाहते है। उन्होंने इस दिशा मे एक कदम और बढ़ाया। उन्होंने ये फैसला किया कि अब वो फिर से मिले। बातें तो आपस मे चल हि रही है। सारा ने अरु से कहा - अरु आप मुझसे मिलने आ जाओ। जो होना था वो हो चुका अब सब कुछ भुला कर मुझे अपना लो। अरु भी मान गया और कहा - ठीक है मैं रक्षाबंधन पर्व पर घर आ रहा हूँ तब आप से मिलने जरूर आऊँगा। पर अब आप के घर नहीं आने वाला। अब आप को हि मेरे पास आना होगा। क्योंकि मैं हि हमेशा आप के पास आया हूँ आप कभी भी नहीं आए। इस पर सारा ने कह- मैं एक लड़की हूँ मेरी कई परेशानिया है। कुछ पाबन्दियां भी है। मैं अकेली कहीं भी नहीं जा सकती।  अरु - बहुत अच्छा तो जैसे लड़कों पे तो कोई पाबन्दी हि नहीं है। उन्हें तो खुला छोड़ दिया जाता है। जहां मन करें वहाँ चलें जाओ। जिसे चाहे कर लो। ये सब फालतू कि बातें है। सारा - हा मैं मानती हूँ कि आप पर भी पाबन्दी है। लेकिन..... अरु - लेकिन वेकिन कुछ नहीं। प्यार करती है तो आना। मेरे लिए दिल मे प्यार है तो आना। सारा - ठीक है मैं आऊँगी पर मैं भी आप के घर नहीं आऊँगी। हम और कहीं मिलेंगे। ओके। अरु - मेरे घर आप नहीं आ सकती, मैं आप के घर नहीं आ सकता, तो हम कहा मिलेंगे? सारा - हम जड़मा मे मिल सकते है। वो बड़ा शहर है और हमारे दोनों के गावों से लगभग बराबर बीच मे पड़ता है। अरु -हा, आप जो कह रही है, वो ठीक है, पर हम वहाँ कैसे मिलेंगे? वहाँ तो बहुत लोग होते है। क्या आप किसी को जानती हो? सारा - नहीं, मैं नहीं जानती। लेकिन हम किसी होटल मे चल लेंगे। मैंने सुना है वहाँ जा सकते है। अरु- ठीक है फिर मैं यहाँ से निकल रहा हूँ। दो दिन मे घर पहुँच जाऊंगा। सारा - ठीक है। अरु को आज इतना खुश बहुत दिनों के बाद देखा। ये खुशी कितने समय के लिए है ये तो भगवान हि जाने। अरु को इस तरह खुश देख कर मैं भी बहुत खुश हूँ। मेरे मन मे एक हि सवाल है। प्यार मे कोई इतना कैसे डूब सकता है? और इतनी बड़ी गलती कोई कैसे माफ़ कर सकता है? या फिर मेरा दोस्त प्यार मे अँधा हो गया है। खैर जो भी हो ओ खुश है, मेरे लिए उतना हि काफी है। अरु ने खुशी खुशी घर जाने की तैयारियां शुरू कर दी। कई प्ररकार के सपने दिल ने सजाये अरु अगले दिन घर के लिए निकल गया। जब खुशीया मिलती है तो हर मौसम हर परिस्थी अनुकुल हो जाती हैं। चार दिन घर पर बिताने के बाद अरु वापिस काम के लिए निकला सारा भी इलाज के बहाने अपने घर से निकली और तय समय पर दोनों जड़मा सिटी मे मिले। कुछ समय दोनों ने शहर घूमा फिर एक होटल मे चलें गए। श्याम तक दोनों वहीं रुके। अरु ने मेडिकल से कुछ दवाई खरीदी और सारा को दे दी। उन्होंंने बस मे बैठ कर बहुत सारी बातें कि फिर सारा अपने गांव उतर गई। और अरु उसी बस से अपने काम के लिए आ गया। अब तक तो सब ठीक हि हो रहा है। पर आगे क्या होगा ये बहुत हि दिलचस्प है।


Building relationships is easy.  It is also easy to break.  It is very difficult to fulfill.  The speed with which time is passing is causing turmoil in both of their lives.  Fights fights.  He also celebrates with tears.  The more it settles, the more it gets confused.  Neither I know nor you know about life's entanglements.  Sara and Aru try to handle the shattered life.  Want to correct the mistake and move on.  He took a step further in this direction.  They decided that now they should meet again.  Things are going on amongst themselves.  Sara said to Aru - Aru, you come to meet me.  Whatever had to happen has happened, now forget everything and accept me.  Aru also agreed and said - okay I am coming home on Rakshabandhan festival, then I will definitely come to meet you.  But now he is not going to come to your house.  Now you have to come to me.  Because I have always come to you, you have never come.  On this Sara said – I am a girl, I have many problems.  There are some restrictions also.  I can't go anywhere alone.  Aru - Very good, as there is no restriction on boys.  They are left open.  Go wherever you want.  Do whatever you want  All these are nonsense.  Sara - Yes, I agree that you are also banned.  But..... Aru - but but nothing.  If you love then come  If I have love in my heart then come.  Sara - Okay I will come but I will not come to your house either.  We will meet somewhere else.  Ok.  Aru - You can't come to my house, I can't come to your house, so where will we meet?  Sara - We can meet at Jadma.  It is a big city and lies almost equally between our two villages.  Aru-ha, what you are saying is right, but how will we meet there?  There are many people there.  do you know anyone  Sarah - No, I don't know.  But we'll go to a hotel. I heard you can go there.  Aru- Okay then I'm getting out of here.  I will reach home in two days.  Sarah - All right.  Saw Aru today after a long time so happy.  For how long is this happiness, only God knows.  I am also very happy to see Aru happy like this.  I have one question in my mind.  How can someone fall so deeply in love?  And how can anyone forgive such a big mistake?  Or my friend is blind in love.  Well whatever it is, oh happy, that's enough for me.  Aru happily started preparations to go home.  Many kinds of dreams were decorated by the heart. Aru left for home the next day.  When happiness is found, every season, every circumstance becomes favorable.  After spending four days at home, Aru went back to work, Sara also came out of her house on the pretext of treatment and both of them met in Jadma City at the appointed time.  For some time both of them roamed the city and then went to a hotel.  Both stayed there till Shyam.  Aru bought some medicine from the medical and gave it to Sara.  He sat in the bus and talked a lot that then all got down to their village.  And Aru came for his work by the same bus.  Till now everything is going well.  But what happens next is very interesting.

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रविवार, जुलाई 3

अग्निवीर p3

 

अग्निवीर

सभा मे एक ऐसा पुरुष भी था जिसने कुछ समय पूर्व हि अपने बच्चे और पत्नी का अंतिम संस्कार किया था। उसके मन मे क्रोध कि आग लग गई थी। उसका नाम है करतार सिंह उसने सभा से निकलते कि अपने घोड़े पर सवार होकर सीधे कन्चन वन का रास्ता पकड़ा। तेज रफ्तर घोड़े से वाह सीधे कन्चन वन मे प्रवेश कर गया।

कन्चन वन बड़े बड़े पेड़ और पहाड़ी इलाका है। जिसमें प्रवेश के कुछ हि देर बाद करतार सिंह एक जाल मे फस गया। तभी वहाँ कुछ सैनिक आ गए। एक सैनिक चौक कर अरे ये क्या तुम! हा मैं हूँ। तुम तो हमारे दुश्मन हो यहाँ कैसे आए हो? क्यूँ आए हो? करतार सिंह -  मैं राजा केशव से मिलने आया हूँ। मुझे उनसे जल्दी से बात करना है।सैनिक - क्या बात करना है? करतार सिंह - बहुत जरुरी है मेरा उनसे मिलना।  सैनिक- साथियो इसे बंदी बना लो और ले चलो इसे राजा के पास। करतार सिंह को बंदी बना लिया गया। उसे राजा के पास ले कर जा रहे है। जैसे जैसे करतार सिंह को उस सभा कि ओर लेजाया जा रहा है वैसे वैसे सभा मे गूंज रही आवाज तेज हो रही है। हर हर महादेव के नारे तेज हो रहे है। करतार सिंह देख रहा है चारो ओर खुशियों का माहौल है। पेड़ पोद्ये पत्ती हवा पशु और पन्छी सब खुशीया बाट रहे है। राजा अपने सभी सहयोगियों के बीच रानी के साथ बैठे है। करतार सिंह को सीधे सभा मे ले आये। ये देख सब कर सभा मे एकाएक सन्नाटा छा गया।

उनमे से एक ने कहा ऐसे मार दो फिर सब बोलने लगे ऐसे मार दो ऐसे मार दो। फिर राजा केशव सभी को सांत होने का इसारा देते हुए।मेरे सभी साथियो सांत रहो। सैनिको इनके हाथ खोल दो। ये और इनके सभी पूर्वज, सिहासन के वफादार रहे है। अभी भी है। मुझे गर्व है इनकी देश भक्ति पर।

महाराज आप ये क्या कहे रहे है? मैं देश द्रोही हूँ। मैं हि हूँ मुझे मर जाना चाहिए। मेरे बच्चे के सर को काट कर उस मासूम के शरीर का एक एक बूंद निचोड़ लिया। और मैं कुछ नहीं कर पाया। मेरे पिता होने पर मुझे लज्जा आती हैं। मार दो मुझे मार दो। मेरी पत्नी ने मेरे सामने अपना दम तोड़ दिया मैं उसे साहस भी नहीं दे सका। मेरे पति होने पर मुझे लज्जा आती हैं। मार दो यारों उठाओ अपनी तलवारे। मेरे सामने मेरे लॉगो को मासूमों को यातनाएं साहनी पड़ती है और मेरे खून मे एक लहर भी नहीं उठती। ऐसे व्यक्ति का मर जाना हि उचित है। तो देर किस बात कि उठाओ हथियार।

नहीं सेना नायक आप को कोई नहीं मारने वाला। और फिर तुम नहीं होते तो आज हमारा भी अस्तित्व खत्म हो जाता। तुम्हारे हि कारण हम वहाँ से निकलने मे सफल हो पाये। जो लोग आप के योगदान को नहीं जानते वे भूल वस कह रहे है। आप के साथ जो भी अत्याचार हुआ है, उन सब का बदला लिया जाएगा। 

करतार सिंह - महाराज आप को मैं एक गंभीर समस्या से अवगत कराने आया हूँ। महाराज मान्सी को आप के इस ठिकाने का पता चल गया है। वो अपनी विशाल सेना के साथ इस ओर आ यही है। उसकी ताकत अब पहले से ज्यादा दुगुनी हो गई है। उसकी सेना मे  कई भूत प्रेत जानवर दैत्य एक से बढ़ कर एक मायावी दानव और मजबूर सिपाही है। जो बस एक इसारे पर किसी के भी गले से एक घुट मे सारा खून पी सकते है। इससे पहले कि वो यहाँ आ जाए किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाए।

केशव- सेनापति हम यहाँ से जा हि रहे है। किंतु आप को हमारे साथ अभी नहीं आना है। आप मान्सी के हर कु कर्म पर नजर बनाए रखे । मैं वादा करता हूँ आप का ये त्याग व्यर्थ नहीं जाएगा।

करतार सिंह - जी महाराज। महारानी जी मेरा तो लल्ला अब नहीं रहा क्या मैं अपने राजकुमार को देख सकता हूँ? 

मंदाकिनी - बच्चे को उनकी ओर बढ़ाते हुए। लीजिये सेनापति जी इसे आप के आशीष कि परम आवश्यकता है। यही हमारे देश मे खुशीया वापिस लेकर आएगा।

करतार सिंह - बच्चे को हाथों मे लिए बिना हि करतार सिंह ने उसे प्रणाम किया। कहा इनका ये स्वरूप दुखियो के दुखो को और पापीयों के पाप का नास करने वाला है। इनकी सक्तिसाली भुजाऐं असहाय के सहायक और दुश्मनो के लिए काल है। इनका अग्नि कि तरह का तेज है और ये एक वीर योद्धा है। इसलिए आज से ये अग्निवीर है। अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय

महाराज अब मुझे यहाँ से जाने कि अनुमति प्रदान करें। धन्यवाद

केशव- आज्ञा है।

करतार सिंह वहाँ से अपने घोड़े पर सवार हो कर वहाँ से निकल गया और राजा केशव ने तुरंत सभी को आदेश देते हुए।

मेरे सभी साथीयों अब हमें तुरंत हि ये जगह छोड़कर चलना है। दुश्मन हमारी तरफ निकल गया है। बरसात के बादल चारो ओर से बढ़ रहे है। हम चाहे तो युद्ध कर सकते है। लेकन ये युद्ध का सही समय नहीं। आपमे साहस कि कोई कमी नहीं फिर भी हमें गुरुजी के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए पूर्व दिशा कि ओर प्रस्थान करना होगा। तभी बारिश कि बुँदे गिरने लगी। साथियो आज कुछ भी हो जाए हमें रुकना नहीं है आगे बढ़ते हि जाना है। 

राजा केशव, महारानी मंदाकिनी और सभी सहयोगियों के साथ पूर्व कि ओर बढ़ाने लगे। राजा सभी का हौसला बढ़ाते और सभी खुशी खुशी बढ़ते जा रहे है। किंतु उन्हें आगे आने वाली परेशानियों का अंदाजा नहीं है। हर मुस्किल हर बाधा को दूर करते जा रहे है। जो सबसे बड़ी मुश्किल उनके सामने है उसे तो उन्होंने महसूस भी नहीं किया है। हर हर महादेव कि बुलंद आवाज और उनका बढ़ता जोस इन सबका मुख्य कारण अग्निवीर है। अग्निवीर के आने से सभी मे गज़ब का उत्साह है। सभी भगवान से यही कामना करते है कि अग्निवीर सही सलामत रहे। उनकी आखिरी उम्मीद बस अग्निवीर हि है। हर हर महादेव राजकुमार अग्निवीर कि जय ।

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