रविवार, जुलाई 3

अग्निवीर p3

 

अग्निवीर

सभा मे एक ऐसा पुरुष भी था जिसने कुछ समय पूर्व हि अपने बच्चे और पत्नी का अंतिम संस्कार किया था। उसके मन मे क्रोध कि आग लग गई थी। उसका नाम है करतार सिंह उसने सभा से निकलते कि अपने घोड़े पर सवार होकर सीधे कन्चन वन का रास्ता पकड़ा। तेज रफ्तर घोड़े से वाह सीधे कन्चन वन मे प्रवेश कर गया।

कन्चन वन बड़े बड़े पेड़ और पहाड़ी इलाका है। जिसमें प्रवेश के कुछ हि देर बाद करतार सिंह एक जाल मे फस गया। तभी वहाँ कुछ सैनिक आ गए। एक सैनिक चौक कर अरे ये क्या तुम! हा मैं हूँ। तुम तो हमारे दुश्मन हो यहाँ कैसे आए हो? क्यूँ आए हो? करतार सिंह -  मैं राजा केशव से मिलने आया हूँ। मुझे उनसे जल्दी से बात करना है।सैनिक - क्या बात करना है? करतार सिंह - बहुत जरुरी है मेरा उनसे मिलना।  सैनिक- साथियो इसे बंदी बना लो और ले चलो इसे राजा के पास। करतार सिंह को बंदी बना लिया गया। उसे राजा के पास ले कर जा रहे है। जैसे जैसे करतार सिंह को उस सभा कि ओर लेजाया जा रहा है वैसे वैसे सभा मे गूंज रही आवाज तेज हो रही है। हर हर महादेव के नारे तेज हो रहे है। करतार सिंह देख रहा है चारो ओर खुशियों का माहौल है। पेड़ पोद्ये पत्ती हवा पशु और पन्छी सब खुशीया बाट रहे है। राजा अपने सभी सहयोगियों के बीच रानी के साथ बैठे है। करतार सिंह को सीधे सभा मे ले आये। ये देख सब कर सभा मे एकाएक सन्नाटा छा गया।

उनमे से एक ने कहा ऐसे मार दो फिर सब बोलने लगे ऐसे मार दो ऐसे मार दो। फिर राजा केशव सभी को सांत होने का इसारा देते हुए।मेरे सभी साथियो सांत रहो। सैनिको इनके हाथ खोल दो। ये और इनके सभी पूर्वज, सिहासन के वफादार रहे है। अभी भी है। मुझे गर्व है इनकी देश भक्ति पर।

महाराज आप ये क्या कहे रहे है? मैं देश द्रोही हूँ। मैं हि हूँ मुझे मर जाना चाहिए। मेरे बच्चे के सर को काट कर उस मासूम के शरीर का एक एक बूंद निचोड़ लिया। और मैं कुछ नहीं कर पाया। मेरे पिता होने पर मुझे लज्जा आती हैं। मार दो मुझे मार दो। मेरी पत्नी ने मेरे सामने अपना दम तोड़ दिया मैं उसे साहस भी नहीं दे सका। मेरे पति होने पर मुझे लज्जा आती हैं। मार दो यारों उठाओ अपनी तलवारे। मेरे सामने मेरे लॉगो को मासूमों को यातनाएं साहनी पड़ती है और मेरे खून मे एक लहर भी नहीं उठती। ऐसे व्यक्ति का मर जाना हि उचित है। तो देर किस बात कि उठाओ हथियार।

नहीं सेना नायक आप को कोई नहीं मारने वाला। और फिर तुम नहीं होते तो आज हमारा भी अस्तित्व खत्म हो जाता। तुम्हारे हि कारण हम वहाँ से निकलने मे सफल हो पाये। जो लोग आप के योगदान को नहीं जानते वे भूल वस कह रहे है। आप के साथ जो भी अत्याचार हुआ है, उन सब का बदला लिया जाएगा। 

करतार सिंह - महाराज आप को मैं एक गंभीर समस्या से अवगत कराने आया हूँ। महाराज मान्सी को आप के इस ठिकाने का पता चल गया है। वो अपनी विशाल सेना के साथ इस ओर आ यही है। उसकी ताकत अब पहले से ज्यादा दुगुनी हो गई है। उसकी सेना मे  कई भूत प्रेत जानवर दैत्य एक से बढ़ कर एक मायावी दानव और मजबूर सिपाही है। जो बस एक इसारे पर किसी के भी गले से एक घुट मे सारा खून पी सकते है। इससे पहले कि वो यहाँ आ जाए किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाए।

केशव- सेनापति हम यहाँ से जा हि रहे है। किंतु आप को हमारे साथ अभी नहीं आना है। आप मान्सी के हर कु कर्म पर नजर बनाए रखे । मैं वादा करता हूँ आप का ये त्याग व्यर्थ नहीं जाएगा।

करतार सिंह - जी महाराज। महारानी जी मेरा तो लल्ला अब नहीं रहा क्या मैं अपने राजकुमार को देख सकता हूँ? 

मंदाकिनी - बच्चे को उनकी ओर बढ़ाते हुए। लीजिये सेनापति जी इसे आप के आशीष कि परम आवश्यकता है। यही हमारे देश मे खुशीया वापिस लेकर आएगा।

करतार सिंह - बच्चे को हाथों मे लिए बिना हि करतार सिंह ने उसे प्रणाम किया। कहा इनका ये स्वरूप दुखियो के दुखो को और पापीयों के पाप का नास करने वाला है। इनकी सक्तिसाली भुजाऐं असहाय के सहायक और दुश्मनो के लिए काल है। इनका अग्नि कि तरह का तेज है और ये एक वीर योद्धा है। इसलिए आज से ये अग्निवीर है। अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय राजकुमार अग्निवीर कि जय

महाराज अब मुझे यहाँ से जाने कि अनुमति प्रदान करें। धन्यवाद

केशव- आज्ञा है।

करतार सिंह वहाँ से अपने घोड़े पर सवार हो कर वहाँ से निकल गया और राजा केशव ने तुरंत सभी को आदेश देते हुए।

मेरे सभी साथीयों अब हमें तुरंत हि ये जगह छोड़कर चलना है। दुश्मन हमारी तरफ निकल गया है। बरसात के बादल चारो ओर से बढ़ रहे है। हम चाहे तो युद्ध कर सकते है। लेकन ये युद्ध का सही समय नहीं। आपमे साहस कि कोई कमी नहीं फिर भी हमें गुरुजी के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए पूर्व दिशा कि ओर प्रस्थान करना होगा। तभी बारिश कि बुँदे गिरने लगी। साथियो आज कुछ भी हो जाए हमें रुकना नहीं है आगे बढ़ते हि जाना है। 

राजा केशव, महारानी मंदाकिनी और सभी सहयोगियों के साथ पूर्व कि ओर बढ़ाने लगे। राजा सभी का हौसला बढ़ाते और सभी खुशी खुशी बढ़ते जा रहे है। किंतु उन्हें आगे आने वाली परेशानियों का अंदाजा नहीं है। हर मुस्किल हर बाधा को दूर करते जा रहे है। जो सबसे बड़ी मुश्किल उनके सामने है उसे तो उन्होंने महसूस भी नहीं किया है। हर हर महादेव कि बुलंद आवाज और उनका बढ़ता जोस इन सबका मुख्य कारण अग्निवीर है। अग्निवीर के आने से सभी मे गज़ब का उत्साह है। सभी भगवान से यही कामना करते है कि अग्निवीर सही सलामत रहे। उनकी आखिरी उम्मीद बस अग्निवीर हि है। हर हर महादेव राजकुमार अग्निवीर कि जय ।

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