सोमवार, जनवरी 31

चाहत और भी है-भाग 3 Want More - Part 3

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 3

अरु पता सुनते हुए देख रहा हैं कि उस बस से कुछ और लोग भी उतर रहे है ।जिनमें एक सुंदर सी लड़की भी  उतरि है जो फोन पर बात कर रही है । उसने सोचा इसी से पता पूछ लू, पर वो बात करती हुए गाँव कि ओर जा रही है। अरु ने भी फोन पर पता लिया और उसके पीछे-पीछे चलने लगा। लड़की देखने मे तो अच्छी हि दिख रही है पर आजु बाजु के लॉगो पर ध्यान दिए बिना, किसी से ऐसे बात करना अच्छा नहीं है। अरु ने उससे पता नहीं पूछा, क्योंकि उसकी बात बीच मे रोकना नहीं चाहता। अरु ने सोचा चलो एक से भले दो,चलो जहां तक चलना है पर पता तो तुमसे हि पुछना हैं। रास्ता पैदल हि चलना है। अरु भी बड़ा शरारती है उसे क्या शरारत सूझी देखो ,उसके और अरु बीच कुछ हि कदमो का फासला हैं और अरु उतना हि स्पीड मे चल रहा हैं जितना कि वो लड़की ,वो यदि ज्यादा तेज चलें तो अरु भी तेज चलने लगाता वो धीमा चलें तो अरु भी धीमा चलता। दोनों के बीच का ना तो फासला बढ़ने देता ना घटने देता। शायद उस लड़की ने ये बात नोटिस कर ली है तभी तो वो फोन पर जिससे भी बात कर रही है। उसे मेरे बारे मे बता रही है कि कोई उसका पीछा कर रहा है।अरु उनके इतना दुरी पर है कि उसकि बातें सुन सकता है। पर उसे क्या वो तो अपना काम कर रहा है। आधे घंटे पीछा करने के बाद लड़की का घर आ गया जो कि गाँव कि लास्ट वाली गली मे है।वो घर के सामने खड़ी हो गई फोन रख दिया और अरु को देखने लगी, उसके मन का हाल तो वो जाने पर अरु को लगा कि अब तो उसकी खैर नहीं। उसने सोचा अपन तो अब गए समझो। फिर भी अरु ने हिम्मत कि और पास जाकर पूछा दीदी ये पता बता देंगे क्या। अब तो पता नहीं अरु ने उसे क्या बोल दिया उसने अपनी भौहें सिकोड़ते हुए अरु को बड़ी बड़ी आँखो से घुरा, शायद उसका पीछा करना उसे अच्छा लगा, लेकिन दीदी बोलना उतना हि बुरा। सड़ा सा मुंह बनाते हुए गुसैल आवाज मे बड़ी जोर से कहा मम्मी............... देखो तो ये भैया कुछ पूछ रहे है। ऐसे बोलती हूयी वो अंदर को चली गई, तभी अंदर से एक औरत अपने हाथ मे चारपाई लेकर बहार आती हुई बोली कौन हो तुम कहा से आ रहे हो ,अरु ने कहा मेरा नाम अरु है मेरे गाँव का नाम  कुपनिर है मेरी दीदी का नाम लघुलती है मैं उनके घर मेहमान आया हूँ। दीदी कहा रहती है ? उसने अपनी खटिया धूप मे बिछा ली और मुझे बैठने का इशारा करते हुए बोली, आप कि दीदी खेतों का काम करने गई है उसने एक घर कि ओर इशारा करते हुए कहा। वो घर तुम्हारी दीदी का है। वो श्याम तक हि वापिस लौट पायेगी। तब अरु क्या करता उनके दरवाजे पर ताला लगा है अरु भी खटिया पर जा बैठा फिर थोड़ी देर मे गाँव कि हि कुछ औरते इकठा हो गई फिर क्या, ऐसे शोरगुल हो रहा है मनो मेला लगा हो। 



This story is completely fictional, it has nothing to do with any person, thing, or place.

 Want More - Part 3

 Aru listens to the address and sees that some other people are also getting down from that bus. In which a beautiful girl has also got down who is talking on the phone.  She thought that I should ask the address from this, but she is going towards the village while talking.  Aru also took the address on the phone and started following him.  The girl is looking good to see but without paying attention to the logo of today, it is not good to talk to anyone like this.  Aru did not ask him the address, as he does not want to interrupt his talk.  Aru thought, let's give each other well, let's go as far as we have to go, but if you know, I have to ask you.  The way is to walk.  Aru is also very mischievous, see what mischief there is between him and Aru, and Aru is walking at the same speed as that girl, if he walks faster then Aru also starts walking faster if he walks slower  Aru also walks slowly.  Neither the distance between the two would allow it to increase or decrease.  Perhaps that girl has noticed this thing, only then whoever she is talking to on the phone.  Telling her about me that someone is following her. Aru is so far away from her that one can hear her talk.  But is he doing his job?  After chasing for half an hour the girl's house came which is in the last street of the village. She stood in front of the house, hung up the phone and started looking at Aru.  So it's not good for him.  He thought that you have gone now.  Still, Aru dared and went near and asked Didi, will you tell me this address?  Now I don't know what Aru told her, she frowned and looked at Aru with big eyes, maybe she liked to follow him, but speaking sister is as bad.  Making a rotten mouth, said very loudly in an angry voice, Mummy.............Look, this brother is asking something.  She said like this, she went inside, then a woman came out from inside with a cot in her hand and said, who are you, where are you coming from, Aru said my name is Aru, the name of my village is Kupnir, my sister's name is Laghulati  Yes, I have come to his house as a guest.  Where does sister live?  He put his cot in the sun and said, pointing to me to sit, your sister has gone to work in the fields, he said pointing to a house.  That house belongs to your sister.  She will be able to return only till Shyam.  Then what Aru does, their door is locked. Aru also sat on the cot, then in a short while some women gathered in the village, then what, there is such a noise, such a fair is happening.
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