बुधवार, जून 29

चाहत और भी है-भाग 22 want more 22

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 22


Sara and Aru talking on the phone.  Aru your didi broke my mangalsutra and took it away.  I love you very much.  Why did he do this?  I will always love you no matter what happens.  You leave me it can happen but I leave you it can never happen.  As long as there is a beat in my heart, every mother-in-law is in your name.  Aru- First of all you stop crying.  Now tell me, I came to meet you in the field but you have not met and I kept waiting for you all night.  In the end I had to return disappointed.  why did you do this to me?  Do you know from how far I have come?  Anyway, your last wish has come true, isn't it?  Have you considered human emotion as a toy?  Whenever I wanted to play my mind, I threw it away whenever I wanted.  Sara - Forgive me Aru, I made a mistake.  But I can't forget you. I was never going to take him off. Even though the mangal thread broke through my neck, I am my husband myself.  And always will be.  Aru- So you tell how can the relationship progress?  And how can you be sure that you will never cheat again?  Sara - Despite everyone, I have completed your test, do you still not trust me?  I am still ready to accept everything you say.  Tell me what to do now?  Aru - OK, I agree with you on everything.  But it is not easy to be trusted.  Now even if we increase the relationship in some way, now a knot has formed in it.  I don't know about you but I will always love you.  I love you.

सारा और अरु फोन पर बात करते हुए। अरु आप कि दीदी ने मेरा मंगलसूत्र तोड़ कर ले गई। मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ। उन्होंंने ऐसा क्यू किया? मैं आप को हमेशा चाहती रहूंगी चाहे कुछ भी हो जाए। आप मुझे छोड़ दो ये हो सकता है पर मैं तुम्हें छोड़ दूँ ये कभी भी नहीं हो सकता। मेरे दिल मे जब तक धड़कन है हर सास आप के नाम कि है। अरु- पहले तो आप रोना बंद किजिये। अब आप बताओ मैं आप से खेत मे मिलने आया था पर आप मिले हि नहीं और मैं सारी रात आपका इंतजार करता रहा। अंत मे मुझे निराश होकर लौटना पड़ा। आप ने मेरे साथ ऐसा क्यू किया? आप को मालूम तो है ना कितनी दूर से आया हूँ। वैसे भी आप कि आखिरी इच्छा तो पूरी हो गायी है ना? आप ने इंसान कि भावना को खिलौना समझा है क्या? जब मन चाहा खेल लिया जब चाहा उठाकर फैक दिया।  सारा - मुझे माफ़ कर दो अरु, मुझसे भूल हो गई। पर मैं आपको नहीं भूल सकती।मैं कभी भी उसे उतारने वाली नहीं थी।भले हि मेरे गले से मंगल सूत्र टूट गया, पर मेरे आप हि पति है। और हमेशा रहोगे। अरु- तो आप बताओ कि रिश्ता आगे कैसे बढ़ सकता है? और भरोसा कैसे होगा कि आप फिर धोखा नहीं दोगी? सारा - सबके होते हुए मैंने आपकी परीक्षा पूरी कि है क्या अब भी आप को मुझपे भरोसा नहीं। मैं अब भी आपकी हर बात मानने को तैयार हूँ। कहो मुझे अब क्या करना है? अरु - ठीक है मैं आप कि हर बात मान लेता हूँ। लेकिन भरोसा होना आसान नहीं। अब हम भले हि किसी तरह से रिश्ते को बढ़ाये अब उसमें गाठ तो बन गई है। आप का तो पता नहीं पर मैं आप को हमेशा प्यार करता रहूँगा। आई लव यू।

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गुरुवार, जून 23

अग्निवीर p2



अग्निवीर

बच्चे कि माँ - ये पापनी सुन मैं तुम्हें श्राप देती हूँ तुम्हारी मौत का करन मेरे बच्चे का खून बनेगा। और वो भी ज़मीन पर गिर कर अपने प्राण त्याग देती है।

मान्सी- चारू ले आओ उस खप्पर को मेरे पास मैं भी देखु कितनी ताकत है इस खून मे। (खप्पर अपने हाथ मे लेते हुए) मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती चाहे तुम कितना भी दूर चलें जाओ मैं तुम्हें पा कर रहूंगी। मान्सी राजदारबार से मुस्कुराते हुए अपने रथ मे जा बैठती है। सार्थी चलो काबिले कि ओर हमें विश्कन्या से अभी मिलना है।

मुरारीलाल - भीमा जाओ सभी को संकेत दे दो।निसान गांव के बाहर पीपल के पेड़ पर लगाना। भीमा- जी महाराज ( बोल कर लाल झंडी लिए पीपल कि ओर बढ़ गया। मुरारीलाल भी अपनी पत्नी मंदाकिनी के साथ पीपल कि ओर बढ़ते है। भिमा के झंडा फहराते हि वहाँ कई लोग साधुओं के वेश मे एकत्रित होकर हर हर महादेव हर हर महादेव का जयकारा लगा रहे है।

मान्सी- विश्कन्या के मठ मे प्रवेश करते हुए। विस्कन्या आज मुझे तुम्हारी जरुरत है। विस्कन्या -कहो महारानी क्या समास्या है। जो आप को मुझ तक आना पड़ा। मान्सी- मत कहो मुझे महारानी जिसके सपने देखें वो किसी और का हो गया। ये राजमहल राजा के बिना अधूरा है और मैं भी उसके बिना अधूरी हूँ। मुझे वो चाहिए और उसे पाने को मैं किसी भी हद को पार कर सकती हूँ। विश्कन्या पता करो अभी वो कहा है? कैसे है? मैं उन्हें अभी देखना चाहती हूँ। विस्कन्या- मान्सी मैं तुम्हारे साथ हूँ पर अभी मैं ये काम नहीं कर सकती। क्योंकि मेरे गर्भ मे बच्चा है। यदि हमने ये पूजन विधि कि तो इसका कुछ ना कुछ समस्या उत्पन्न होगी। पास हि खड़े भुजंग नाथ बोले- जी महारानी ये सच है मेरी पत्नी के गर्भ से जो बच्चा जन्मेगा, उसमें आप के लाए बच्चे के खून का अंश मिल जाएगा। फिर हम जैसी संतान चाहते है वैसी नहीं होगी। उसमें बाहरी गुण दोष शामिल हो जाएँगे। मान्सी - मैंने कहा मुझे उसे देखना है अभी इसी वक्त। जी महारानी कहेकर विश्कन्या और भुजंग नाथ कुलदेवी कि पूजा आरम्भ करते है। तीनो हवन के पास बैठ कर आहुति दे रहे है। खप्पर मे रखे खून कि कुछ बुँदे आहुती देने के बाद तीनो उस खून को बराबर-बराबर बांट कर पी लिए। तीनो ने एक दूजे का हाथ पकड़ कर मंत्र जपने लगे। कुछ देर बाद हवन कुंड मे एक तीव्र प्रकाश का गुब्बार बनता है। उस गुब्बार मे कई एकत्रित होते जाने पहचाने चेहरे साधुओं के वेश मे दिखने लगते है। हर हर महादेव के जयकारे से अब विस्कन्या का मठ भी गूंजने लगा। देखो विश्कन्या , मंदाकिनी को ये मेरी दुश्मन है इसने मुझसे धोखा किया है। और इसके पेट मे पल रहा बच्चा तुम्हारा दुश्मन है। मंदाकिनी को अचानक दर्द शुरू हो जाता है वो जोर से आवाज देती है- स्वामी केशव ये सुनते हि मुरारीलाल वहा आता है। गुब्बार मे अचानक तस्वीरें धुंधली होने लगती है। वहीं विश्कन्या के पेट मे भी दर्द उठता है, ये देख कर भुजंग बाहर निकलते हुए सभी को पास आने के लिए आवाज लगाने लगता है। आस पास के सभी लोग एकत्रित हो जाते है। भुजंग - दसियो जाओ तुम्हारी महारानी कि मदद करो। ये सुनते हि कुछ औरते अंदर चली जाती है। मान्सी भी बाहर आते हुए भुजंग नाथ तुम्हें मालूम होना चाहिए पहले हम तीनो सहेलीया थी पर अब सबकुछ बदल गया है। अब ये देखना होगा कौन ज्यादा आगे जाता है। तभी वहा भुजंग नाथ के गुरु आते दिखाई दिए। उन दोनों ने गुरु को प्रणाम किया और बैठने को आसन दिया। तभी अंदर से बच्चे के रोने कि आवाज आयी। मठ के अंदर से एक दासी बाहर आयी। उसके हाथ मे एक सुंदर बच्ची है महाराज को बहुत सारी शुभकामनाये बच्ची हुई है। भुजंग नाथ भेट देते हुए बच्ची को अपने हाथों मे लेता है। बच्ची को गुरुजी कि ओर बढ़ाते है। गुरुजी उसकी ओर देखते हुए इसका नाम कुमारी होगा इसमें मायावी शक्तियाँ और एक मानव योद्धा के गुण होंगे समय आने पर ये सत्य का साथ देने वाली होगी। एक दिन इसके सारे अपने इसके खिलाफ होंगे। एतिहात में हुई गलतियों को सुधारने के लिए हि इसका जन्म हुआ है। मान्सी- गुरुजी अब मुझे जाने कि आज्ञा प्रदान करें। मुझे भी आज एतिहात का एक और पन्ना लिखने जाना है, चाहे वो गलत हो या सही। गुरुजी से आज्ञा पा कर मान्सी अपने रथ मे बैठ गई और महल आ कर सभी को सभा मे उपस्थित होने का सन्देसा भेज दिया। कुछ देर में सभी सभा के सदस्य वहाँ आ गए। मान्सी - सभी मेरी बात ध्यान से सुने हमें अभी युद्ध के लिए जाना है। कंचन वन कि ओर तत्काल युद्ध कि तैयारी मे जुट जाए। सेनापति - उस ओर तो हमारा कोई भी दुश्मन नहीं फिर... मान्सी- सेनापति चतुकार हमने जो कहा उसपर अमल हो। और सुनो हम महाराजा केशव से युद्ध के किये जा रहे है। उन्हें सिर्फ मेरे साथ रहना होगा या फिर परलोक जाना होगा। अब जाओ और कोई कुछ कहना चाहता है। ज्योतिष रेनू - जी महारानी मेरा मत है ये फैसला सही नहीं है। क्योकि अभी आपकी राशि गणना के अनुसार युद्ध योग नहीं बन रहे। मान्सी- तो क्या केशव को मेरे दुश्मन के साथ छोड़ दूँ। सेनापति - महारानी मैं हूँ ना सभी को मर कर केशव को बंदी बना कर ले आता हूँ। मान्सी- हँस्ते हुए जाओ सेनापति खाली हाथ आना। यदि ऐसा हुआ तो मौत तुम्हारा यहाँ भी इंतजार करेगी जाओ उसे लेकर आओ। जी महारानी बोल कर सेनापति सभा से बाहर चला गया। मान्सी ने सभा समाप्त कि घोषणां कि। फिर वहाँ से अपने कमरे कि ओर चली।

सभा मे एक ऐसा पुरुष भी था जिसने कुछ समय पूर्व हि अपने बच्चे और पत्नी का अंतिम संस्कार किया था। उसके मन मे क्रोध कि आग लग गई थी। उसका नाम है करतार सिंह उसने सभा से निकलते कि अपने घोड़े पर सवार होकर सीधे कन्चन वन का रास्ता पकड़ा तेज रफ्तर घोड़े से वाह सीधे कन्चन वन मे प्रवेश कर गया।

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अग्निवीर p1



अग्निवीर

काली घनी रात मे मुरारीलाल एक एक कदम बड़ा रहा है। उसे रास्ते मे कई जानवरों कि आवाजें आ रही है। मुरारीलाल बड़ी हिम्मत लगा कर आगे बढ़ रहा है। तभी उस सड़क पर एक ट्रक आता दिखाई देता है। जो पूरी तरह से अनियंत्रित होकर मुरारीलाल के पास पलट जाता है। और उसकी मिट्टी मे मुरारीलाल दब जाता है। उसके हाथ पैर और गले तक मिट्टी से दब जाता है। मिट्टी मे मुरारीलाल बहुत निकलने कि कोशिश करता है। उसके हाथ पैर हिल भी नहीं पाते । जोर जोर से काओ कि आवाजें आती है। तभी मुरारीलाल कि नज़र उस मिट्टी के ढेर पर पड़े बड़े से पत्थर पर पड़ती हैं। वो पत्थर वहा से फिसला है। और मुरारीलाल के मुँह कि ओर बढ़ता है। मुरारीलाल अपनी आँखे बंद करके दूसरी तरफ अपना सिर घूमता है। और उसकी नींद टूट जाती है। वह देखता है। उसके पास हि उसकी पत्नी मंदाकिनी उसे देख रही है। मंदाकिनी, मुरारीलाल को पसीने लत पत देख कर। मुरारीलाल का पसीना पोछ्ते हुए मैं जानती हु हमें अपने राज्य को छोड़ना पड़ा नौ महीने अब पूरे होने वाले है। ये बुरी ताकतें हमारे साथ आती हि रहेगी। क्योंकि वो जानती है। उनका काल मेरी कोख मे है। अब वो वक्त आ गया है। हमें हमारे राजगुरु से मिलना होगा। मुरारीलाल - हा मंदाकिनी मिलना तो है पर कैसे? राजगुरु और सभी राज सेवक उनकी कैद मे है। फिर हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा? मंदाकिनी- जब उनका काल आ हि रहा है तो रास्ता भी होगा।बस वो हमें नज़र नहीं आ रहा। अब तो गुरुजी हि कुछ करेंगे। तभी उनके घास पूस के घर मे एक रोशनी उत्पन्न होती है। और उस रोशनी के बीच राजगुरु दिखाई दे रहे है। राजगुरु को सामने देख दोनों ने प्रणाम किया। आशिर्वाद देते हुए राजगुरु- राजन मैं अपनी योग सक्ती से आप तक आया हूँ। हमारे देश मे चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। जो उनके साथ हुए वो अत्याचारी धूर्त बन गए, जिन्होंने उनका साथ नहीं दिया वो मारे गए या बंदी बना लिए गए। महाराज आप यहाँ से पूर्व कि ओर जाओ अब आप के लिए यहाँ रुकना सही नहीं है। आपको पूर्व कि ओर पलाश वन मे प्रवेश करना होगा। वहाँ पर एक सफ़ेद पलसा का पेड़ होगा। उसी के पास पल्लवी ऋषि का आश्रम है। आप दोनों वहाँ यचना लेकर जाओ वो आप कि मदद जरूर करेंगे। ऐसा बोलकर वे अन्तर्ध्यान हो गए। वो दोनों उस घर से बाहर आए। और मुरारीलाल ने भीमा को आवाज लगायी। भीमा हा मुरारीलाल सुबह सुबह क्यूँ चिल्ला रहे हो। पास में आ कर, जी महाराज क्या आदेश है। भीमा हमारे चलने का वक्त आ गया है। सभी को लाल संदेश भिजवा दो अभी। जी महाराज। भीमा अपने घर के बाहर एक लाल रंग का झंडा फहरा देना है। कुछ हि छनो पस्चात वहाँ बहुत से साधु साध्वी इक्कठा होने लगे। मुरारीलाल उन सभी के बीच मे जाकर खड़ा हो जाते है। और कहते है। मेरे सभी साथियो आप इस विषम परिस्थितयों मे मेरा साथ दे रहे है उसके लिए आप सभी का धन्यवाद। गुरूजी के आदेश अनुसार हम यदि यहाँ और रुके तो मुस्किले बढ़ने वाली है। अतः गुरुजी के बताए गोपनीय मार्ग पर हम सब को अभी चलना है। आप सभी अपने साथ खाने पीने कि सभी वस्तुए रख ले। अगला संकेत मिलते हि हम पूर्व दिशा कि ओर प्रस्थान करेगें। सभी लोग वहाँ से चलें गए।

गुलामी कि जंजीरो मे जकड़े कई गुलामो को कोड़े कि मार मारते सैतानी लोग। खून के आंसू रोने को मजबूर वहाँ कि जनता, जिनसे जी भर काम करवाते है फिर उन्हें मारते है, काटते है और खा जाते है।बड़े से राजमहल मे चारों ओर बुराई और मौत नाच रही है। यहाँ एक से बढ़ कर एक भूत प्रेत आत्मा दानव तांत्रिक सब एक साथ है। और इन सबकी रानी है मान्सी। मान्सी बहुत हि खूबसूरत और जवान है। लेकिन उसके भाव सही नहीं उसकी आँखे तेज कटार कि धार है। उसके काले घने खुले हुए केश, उसके घुटने तक लटक रहे है। जवानी कि आग मे जलती मान्सी गुस्से से लाल चेहरा, हाथो मे रूह दण्ड लिए कारागार कि ओर बढ़ती है। जैसे जैसे मान्सी आगे बढ़ती है क्या दांनाव क्या दैत्य सब अपना समर्पण कर देते है। मान्सी को देखते हि सब ज़मीन पर लेट जाते है। और प्रणाम करने लगते है। दोनों हाथ जोड़ कर राजगुरु को मान्सी का प्रणाम(घमंड से भरी मुस्कान के साथ)।राजगुरु- तुम यहाँ क्यूँ बार बार आती हो? मैं तुम्हें कभी भी नहीं बताने वाला कि वो कहा है। चाहे तुम मुझे मार हि क्यूँ ना दो। मान्सी- नहीं गुरुजी आप को मैं नहीं मारूंगी और मुझमें इतनी सक्ती नहीं, कि मैं आप का मुकाबला कर सकू। आप तो कैद मे हि रहो और बस देखते जाओ क्या हाल करती हूँ मैं इस राज्य का।( मुँह बनाते हुए) और रही उसकी बात तो उसे तो मैं पा कर हि रहूंगी। राजगुरु- मानसी तुम कभी भी कामियाब नहीं हो सकती। गलत रास्ते पर मंजिल नहीं मिलती और ये तुम्हारी जीत को हार मे बदलने तुम्हारे अत्याचार को समाप्त करने वो जन्म लेने हि वाला है। मान्सी - राजगुरु मेरी मौत कि कामना करने से पहले उन्हें मुझसे बचाने कि कामना करो, क्योंकि वो सिर्फ मेरा है और किसी का नहीं। इस तरह बोलती हुई मान्सी राजदारबार कि ओर बढ़ती है। मान्सी को दरबार मे आता देख सभी ज़मीन पर लेट जाते है। और मान्सी सिंहासन पर बैठ जाती है। सभी लोग उठ कर अपने स्थानों पर बैठ जाते है। मान्सी - किसी को कुछ कहना है? खड़े होकर कहो।(कोई भी खड़ा नहीं होता तब) कोई कुछ नही कहना चाहता? सभी लोग जाओ अपना अपना काम करो जाओ। सेविका चारू जाओ मेरे लिए नवजत जीव या मनुस्य का खून ले आओ। चारू तुरंत बाहर से एक बच्चे को गोद मे लिए प्रवेश करती है। उसके साथ हि एक महिला रोती बिलखती चारू के पीछे आ जाती है। क्रूर चारू कहती है सैनिको पकड़ लो इस औरत को। फिर वहाँ एक खप्पर लाया जाता है। उस बच्चे की माँ बार बार चारू से कहती है उसे छोड़ दो। पर चारू कुछ भी सुने बिना, एक हि वार मे बच्चे का सिर गले से अलग कर देती है। बच्चे का सिर उसकी माँ के सामने गिरता है। चारू के हाथ मे बच्चे के पैर है उसका धड नीचे लटक रहा हैं। उससे निकलती खून कि धार खप्पर मे जमा को रही है। तभी बच्चे कि माँ - ये पापिनी सुन मैं तुम्हें श्राप देती हूँ तुम्हारी मौत का कारन मेरे बच्चे का खून बनेगा। ऐसा बोल कर वो भी ज़मीन पर गिर कर अपने प्राण त्याग दिए।

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शुक्रवार, जून 17

AGNIVEER अग्निपथ


अग्निपथ

अग्निपथ योजना सेना मे भर्ती के लिए लायी गई है। इस योजना के अंतर्गत जीन सैनिकों कि भर्ती होगी , उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। इस योजना का मुख्य मकसद भारतीय सेना को युवा सेना मे पर्वर्तित करना है। योजना अनुशार अग्निवीरो का सेना मे कार्यकाल चार साल का होगा। 

इन चार साल मे क्या होगा?

6 महीने कि ट्रेनिंग होगी बाकी तीन साल 6 महीने सेना मे काम करेंगे। इस दौरान एक अच्छा वेतन मिलेगा। 

चार साल बाद क्या होगा?

25% सैनिक देश सेवा करेंगे 75% सैनिको को अच्छे खासे पैसे दिए जाएँगे जो कोई भी बिज़नेस कर सकते है। पढ़ाई कर सकते है। 

इससे देश को क्या फायदा होगा?

1) 4 साल सेवा देने के बाद जब आप रिटायर होंगे उन जगहों पर हमारे दूसरे भाइयों को मौका मिलेगा।

2) 4 साल बाद जब आप कोई बिज़नेस करोगे तो आप दूसरों को रोजगार दे सकोगे।

3) 4 साल बाद आप कहीं भी रहो देश जब विषम परिस्थितियों मे होगा आप का आव्हान किया जाएगा। हमें बाहर से लड़कों को बुलाने कि जरुरत नहीं होगी।

मेरे अग्निवीरो देश कि सेवा करो 

धन्यवाद


Agneepath scheme has been brought for recruitment in the army.  Gene soldiers will be recruited under this scheme, they will be called Agniveer.  The main objective of this scheme is to convert the Indian army into the youth army.  According to the plan, Agnivero's tenure in the army will be of four years.

 What will happen in these four years?

 There will be 6 months of training, the remaining three years and 6 months will work in the army.  You will get a good salary during this period.

 What will happen after four years?

 25% soldiers will serve the country, 75% soldiers will be given a lot of money who can do any business.  can study.

 How will this benefit the country?

 1) After serving 4 years, when you retire, our other brothers will get a chance in those places.

 2) After 4 years, when you do any business, you will be able to give employment to others.

 3) After 4 years, wherever you live in the country, you will be called when you are in odd circumstances.  We will not need to call boys from outside.

 serve my country

 Thank you



गुरुवार, जून 16

चाहत और भी है-भाग 21 want more 21

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 21


Everything happened but still that rift remained between them.  Everything seems fine.  But still Aru's mind seems to be distracted.  Because when there is deception, how can one trust him?  Their relationship is on that delicate thread.  which can break at any time.  After this an incident happens again with Aru.  The sensation that has come in the middle.  He met Aru. There was a scuffle between the two.  The result happened.  That Aru went back to his home from there.  The distance is not over yet.  Trust nothing yet.  Sara calls Aru.


 Sara - where are you?  Aru-I am at home.  Sarah - Forgive me, how did I make such a big mistake?  I don't know but I love you.  Aru- Okay whatever happened happened, but how can I trust you in future?  Sara - The night you fulfilled my wish, this question can be taken forward by considering your trust as the first step.  Aru - ok then what to do now?  Sara - You come to meet me. Aru - I will come but I will not come to your house.  Sarah - Ok you come to my farm tomorrow.  I will stay at the farm with my grandparents.


 Aru left for Samangaon the next day in the evening to meet Sara.  By night traveling by bus.  Reached Samangaon at 8 o'clock.  From the bus stop, Aru started walking towards Sara's farm.  The road is full of hilly areas and forests.  It is also raining light rain drops.  The weather is looking good.  And Aru is feeling a little scared too.  Different types of sounds come from wild animals.  And darkness is all around.  After some 30 minutes Aru reached there.  Aru waited till 12 o'clock at Behind Sara's farm house but Sara did not come.  Aru got very angry.  And from there he went back.  Came to my home by bus in the morning.  All these things made Aru very sad.  In a fit of rage, Aru starts packing his belongings and leaves for his job the same day.


 For some reason, after three or four days that Aru does not talk to Sara, Aru calls Didi and tells her to break the thread lying around Sara's neck.  I explained to Aru, don't take any decision in anger.  But he did not believe that his head was angry.  Didi breaks the thread from Sara's neck at the behest of Aru.  After a while Hi Aru got a call from Sara.  He said you can leave me but I can't leave you.  Sara said that Didi broke my mangal sutra and took it away.  Aru - I have broken because of my saying.


सब कुछ हुआ पर अभी भी वो दरार उन दोनों के बिच बाकी रही। सब ठीक तो लग रहा है। पर अब भी अरु का मन विचलीत लग रहा है। क्योंकि धोखा जब होता है तो उसपे भरोसा कैसे होगा? उस नाजुक सी डोर पर उनका रिश्ता है। जो कभी भी बिखर सकता है। इसके बाद एक घटना अरु के साथ फिर घटित होती है। सनसन जो कि बीच मे आ चुका है। अरु से उसकी मुलाकात हुई।दोनों के बीच हातापाई हुई। नतीजा ये हुआ। कि अरु वहाँ से अपने घर वापीस चला गया। दूरिया अभी खत्म नहीं हुई। भरोसा अभी कुछ भी नहीं। सारा ने अरु को फोन किया।

सारा - कहा हो जी। अरु-मैं घर पर हूँ। सारा - मुझे माफ़ कर दो इतनी बड़ी गलती मेरे से कैसे हो गई? मैं नहीं जानती पर मैं आप को हि चाहती हूँ। अरु- ठीक है जो हुआ सो हुआ पर आगे आप पर भरोसा करुँ तो कैसे? सारा - आप ने जिस रात मेरी इच्छा पूरी कि थी, वो परिक्छा हि आप के भरोसे का पहला कदम मन कर इस रिश्ते को आगे बढ़ाया जा सकता है। अरु - ठीक है फिर अब क्या करना है? सारा - आप मुझसे मिलने आईये।अरु - आता हूँ पर आप के घर नहीं आऊँगा। सारा - ठीक है आप मेरे खेत आ जाओ कल। मैं खेत मे हि दादा दादी के साथ रुकूंगी। 

अरु अगले दिन शाम को सारा से मिलने समानगांव के लिए निकला। बस का सफर करके रात के। 8बजे सामानगांव पहुँच गया। बस स्टॉप से अरु सारा के खेत कि ओर चलने लगा। रास्ता पहाड़ी क्षेत्रो और जंगल से भरा हुआ है। हल्की हल्की बारिश कि बुँदे भी बरस रही है। मौसम तो अच्छा लग रहा है। और अरु को थोड़ा डर भी लग रहा है। जंगली जानवरों कि तरह तरह कि आवजे आती है। और अँधेरा चारों ओर है। कुछ 30 मिनट के बाद अरु वहाँ पंहुचा। अरु ने बहुत सारा के खेत वाले घर के पीछे 12 बजे तक इंतजार किया पर सारा नहीं आयी। अरु को बहुत गुस्सा आया। और वह वहाँ से वापिस निकल गया। सुबह कि बस से अपने घर आ गया। इन सब बातों से अरु को बहुत दुःख हुआ। गुस्से मे अरु अपने सामान कि पैकिंग करके उसी दिन अपनी जॉब के लिए चल देता है।

किसी कारण तीन चार दिन अरु कि सारा से बात ना होने पर अरु दीदी को फोन करता है और कहता है सारा के गले मे पड़ा धागा तोड़ दो। अरु को मैंने समझाया गुस्से मे कोई भी फैसला मत लो। पर वो नहीं माना उसके सिर तो गुस्सा सवार है। दीदी ने सारा के गले से वो धागा तोड़ दिता अरु के कहने पर। थोड़ी देर बाद हि अरु को सारा का कॉल आया। उसने कहा आप मुझे छोड़ दो हो सकता है पर मैं आप को छोड़ दूँ ये नहीं हो सकता। सारा ने बोला आप कि दीदी मेरा मंगल सूत्र तोड़ कर ले गई। अरु - मेरे कहने से हि तोड़ा है। 


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सोमवार, जून 6

मदमस्त हो गए got drunk

मदमस्त हो गए


fall in love with you

 became famous

 got drunk 2


 look into your eyes

 we got busy

 got drunk 2


 no one drink alcohol or intoxicant

 We drank from your lips

 Didn't have fun

 If you hinted, then this heart is gone


 Your heart was beating for your heart

 It was moonlight for four days then lost it

 There was sunshine, sometimes I met in the shade

 Somewhere day met some night met


 तेरे प्यार में जाना

 मसहूर हो गए

 मदमस्त हो गए 2


 तेरी आख में झाका

 हम व्यस्त हो गए

 मदमस्त हो गए 2


 ना पीये शराब ना नशा कोई किए

 तूने पिलाई ओठ से तो हम भी पी लिए

 ना किए थे दिल्लगी अब दिल्लगी किया

 तूने किया इशारा तो ये दिल चले गए


तेरे प्यार में जाना

 मसहूर हो गए

 मदमस्त हो गए 2


 तेरी आख में झाका

 हम व्यस्त हो गए

 मदमस्त हो गए 2


 धड़क रहा था दिल तेरा तो दिल ले लिए

 चार दिन की चांदनी थी फिर खो दिए

 धूप थी कहीं कभी तो छाव में मिले

 कहीं दिन को मिले कहीं रात मिल गए


तेरे प्यार में जाना

 मसहूर हो गए

 मदमस्त हो गए 2


 तेरी आख में झाका

 हम व्यस्त हो गए

 मदमस्त हो गए 2




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