शुक्रवार, फ़रवरी 28

मोहब्बत में मुझको

मोहब्बत में मुझको दर्द मिला क्यू
ना तू जानती है ना मैं जानता हूँ।

वो तेरी कसमें वो तेरे वादे
सबकुछ भुला दिए तूने इरादे
मोहब्बत में मुझसे तुझको गिला क्यू
ना तू मानती है ना मैं मानता हूं।

सुनी है गलियां बिखरी है कलियां
रातों में मुझको आए ना निंदिया
मोहब्बत में दिल को तड़पना पड़ा क्यों
ना तू सोचती है ना मैं सोचता हूं।

है चुम लेना गालों को मेरे
प्यास बुझाना होठों से मेरे
मोहब्बत में आखिर हमने किया क्या
ना तू कर रही है ना मैं कर रहा हूं।

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