शुक्रवार, फ़रवरी 28

आज तक

दिल्ली के लाल किला से आगरा के ताज तक।
तेरे हि चर्चे है चेनल पे आज तक।

घर से चल दी जींस पहन के
धूम कड़क छतरी तन के
सुन ले हसीना तेरा निकला पसीना
मैंने सुना है तू किसी से फसीना
आ चल बैठ मेरी बाइक पे
ले जाऊंगा तुझे लांग ड्राइव पे
हो जाए फिर सैर सपट्टा
चली हवाएं तेरा उड़ा दुपट्टा
सुपर से ऊपर है आज तेरा लक

अरे सुन मनचली तू चली किस गली
मैं तेरे पीछे पीछे तू जाए जिस गली
मैं जोरू का गुलाम तूने किया बदनाम
तू है खूबसूरत बड़ी बेईमान..............
मैं हूं जानू हुकुम का इक्का तू रूप की रानी
आजा पास मेरे तू एक दिन ला दू तुझपे जवानी
फिगर पे तेरे जिगर में रख दूं
बदन से तेरे बदन को ढक दूं
सिर से लेकर पांव तक

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
कितना घिसू तलवार फिर भी पटत ना कोई निशान
क्या है माजरा ये समझ नहीं आता है
कितना रहे बाहर और कितना अंदर जाता है
देसी छोरी खून मेरा उबाल मारता है
तेरी गंदी गंदी बातों से उफान मारता है
कामसूत्र बेबी मैं तुझको पढ़ाऊंगा
ट्रिक सारी साथ में करके सिखाऊंगा
चैप्टर न छोड़ू अरू एक से सात तक


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मोहब्बत में मुझको

मोहब्बत में मुझको दर्द मिला क्यू
ना तू जानती है ना मैं जानता हूँ।

वो तेरी कसमें वो तेरे वादे
सबकुछ भुला दिए तूने इरादे
मोहब्बत में मुझसे तुझको गिला क्यू
ना तू मानती है ना मैं मानता हूं।

सुनी है गलियां बिखरी है कलियां
रातों में मुझको आए ना निंदिया
मोहब्बत में दिल को तड़पना पड़ा क्यों
ना तू सोचती है ना मैं सोचता हूं।

है चुम लेना गालों को मेरे
प्यास बुझाना होठों से मेरे
मोहब्बत में आखिर हमने किया क्या
ना तू कर रही है ना मैं कर रहा हूं।

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