शुक्रवार, सितंबर 27

वरदान ep1

बहुत पुराने समय की बात है।एक बहुत ही शक्तिशाली
और पराक्रमी राजा चिरायु गढ़ में राज किया करता थे।उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसके राज्य में
सभी प्रजा सुखी से अपना जीवन यापन किया करते थे।
वह अपनी प्रजा को अपनी संतान की तरह समझता था
और अपने दुख सुख  में उन्हें शामिल  किया  करता था।
उसके राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही  थी।
राजा और  उसकी प्रजा  बड़े सुख चैन से अपना  जीवन
व्यतीत करते थे परंतु राजा के मन में एक पीड़ा एक बेचैनी हमेशा बनी रहा करती थी आखिर उसके बाद इस राज्य का क्या होगा, क्योंकि उसे कोई संतान नहीं थी और उसके राज्य का कोई वारिस ना होने के कारण, उसके पड़ोसी मुल्क उस पर नजरें गड़ाए हुए थे। वह चाहते थे, कि वहां का राज्य उनका हो जाए परंतु राजा दिन रात यह सोचा करता था कि आखिर उनके बाद क्या होगा? रानी को भी अपनी संतान ना होने पर बहुत दुख था। राजा - रानी ने अपने आप को संतोष देने के लिए उन्होंनेे एक  मिट्ठू अपने यहां पर पाल लिया । वे उसे अपने बच्चे की तरह प्रेम करते थे, उसे अपने हाथो से खाना खिलाते, अपने हाथो से नहलाते और उसे अपना पुत्र समझते थे। इसी तरह उनका दिन व्यतीत हुआ करता था एक दिन श्याम के समय की बात है, जंगल से उड़ते हुए कुछ मिट्ठू वहाँ से गुजर रहे थे । मिट्ठू ने देखा तो उन्हें अपने जैसा जानकर आवाज लगाई, उसकी आवाज सुनकर आसमान से उड़ रहे मिट्ठू उसके आसपास इकट्ठा हो गए और बात करने लगे सब अपना अपना हालचाल एक दूसरे को बता रहे थे पिंजड़े में रखा हुआ मिट्ठू भी बोला मैं यहां बहुत सुखी हूं और मुझे किसी बात की कोई कमी नहीं है राजा और रानी मुझे अपने पुत्र की भांति प्रेम करते हैं और मुझसे बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं। यह सुनकर बाहर की एक मिट्ठू ने कहा वह, तुमसे कोई प्रेम नहीं करते यह बस उनका दिखावा है क्योंकि अगर वह प्रेम करते तो तुम्हें इस तरह पिंजड़े में कैद नहीं करके रखते। इस पर मिट्ठू बोला नहीं वह मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और देखिए मेरे लिए उन्होंने सोने का पिंजरा बनवाया है। यह सुनकर बाहर का मिट्ठू बोला पिंजड़ा सोने का ही सही पर है तो कैदखाना, तुम हमारी तरह स्वतंत्र आसमान में नहीं उड़ सकते तुम्हें जो खाने को दिया जाएगा वही खाओगे, अपनी मर्जी से उड़कर कहीं जा नहीं सकते, ना ही अपनी मन मुताबिक कुछ खा सकते हो। यह सुनकर उस मिट्ठू को बहुत बुरा लगा और वह सोच मे पड़ गया , आखिर ये सच हि तो बोल रहे है। मैं अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकता । क्या सच में मैं कैदी हूं यह सोचकर बोला अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं जिन्दगी भर यही कैदी बनकर रहूँगा? उसने सारी रात बहुत सोचा और एक फैसला लिया की कल सुबह मैं मरने का नाटक करूंगा और जब मैं मरा हुआ सुबह दिखाई दूंगा तो यह लोग मुझे फेंक देंगे और तब मैं उड़कर यहां से चला जाऊंगा और वह अगले दिन सुबह सुबह मरने का नाटक करता है ।रानी जब उसे खाना देने जाती हैं तो उसे मरा हूआ देख कर बहुत जोर जोर से रोने लग जाती है राजा भी बहुत दुखी होकर यह दुखद समाचार सभी को कहता है कुछ हि समय में सब लोग आ जाते है उसके बाद मे अर्थी बना कर उसे पूरे विधि विधान से शमशान ले जाते है और जब राजा उसकी चिता को आग लगाने के लिए आगे बढ़ते हैं तभी मिठ्ठू उड़ कर पेड़ पर बैठ जाता है और राजा से कहता है कि आप ने मुझे बहुत प्यार किया है और मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी जो मै आप के प्यार को पहचान नहीं पाया। मिठ्ठू कहता है राजा जी मै आपको संतान  प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करूंगा अन्यथा अपने प्राण त्याग दूंगा यह कह कर मिट्ठू वहां से उड़ जाता है और सभी अपने अपने घर वापस चले जाते हैं

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सोमवार, जून 17

चाहत और भी है-भाग 25

 यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।



 चाहत और भी है-भाग 25


समय एक सा नहीं रहता और समय निकलते देर नहीं लगती । उनके प्यार को लगभग पाच साल बित गए । अरु को उम्मीद थी कि सारा उसका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहेंगी । पर वैसा नहीं हुआ । बड़े घर और बड़े शहर मे रहने कि लालसा मे उसने एक रिश्ते को हा कर दी। मैंने उसे बहुत रोकना चाहा पर आदमी को हारना हि पड़ता है जब औरत साथ ना दे। अरु के साथ भी यही हो रहा था । उनके घर मे सादि करने के पैसे कम पड रहे थे । ये बात जब अरु को पता हुई तो उसने कहा मैं तुम्हारे साथ हूँ । तुम्हें मैं पैसे दूँगा । तुम घबराए क्यों हो मेरे होते तुम्हें चिन्ता करने कि जरुरत नहीं । सारा दर्द , सारी तड़प , और अपने आंसूओं को पी कर भी सहन कर गया । और सारा कि मदद कि। पर शायद उसे इस दर्द का कहा एहसास होगा । कठिन दौर को अरु सहे ना सका , उसे नींद नहीं आया करती दिन रात उसे याद किया करता । अंत मे एक दिन अरु ने ढेर सारी नींद कि गोलियां खा गया । इस कारन उसके पेट मे ज़हर बन गया । साथ मे काम कर रहे लॉगो ने उसे हॉस्पिटल ले गए। स्थिति गंभीर थी। उसके घर से बड़े भाई बस वहाँ आए क्योंकि कीसी को कुछ नहीं बताया गया था । तीन दिन के बाद अरु को होस आया । फिर उसे भाई के साथ घर भेज दिया गया । कंपनी से निकाला गया । मानसिक स्तिथि सही नहीं है ऐसा बोल कर ।

रविवार, जून 16

चाहत और भी है-भाग 24

 यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।



चाहत और भी है-भाग 24


अपनी चाहत और प्यार दिल मे सजोए अरु काम पर चाला गया । फोन पर कई प्यारी प्यारी बातें होती रही पर साथ हि साथ लड़ाई भी हो जाया करती । क्योंकि भरोसा कम जो हो गया था। सारा ने एक दिन अरु से कहा आप मुझसे मिलने आओ । क्योंकि अब धीरे धीरे तीन महीने हो गए थे । अरु भी उससे मिलना चाहता था । अतः वो भी घर वापिस आ गया । फिर उन दोनों ने प्लानिंग कि और खेत मे मिलने का सोचा । प्लानिंग के अनुसार अब सारा खेत मे हि रुक गई । इधर अरु का मन कुछ विचलित था पर फिर भी वह रात के नौ बजे तक खेत पहुचा आज हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी । अरु अपने साथ अंगूर भी लाया था । दादा-दादी खाना खा कर सो रहे थे, सारा भी उन्हीं के साथ सो रही थी । सारा ने अरु को चुपके से अपने पास बुलाया। अरु भी धीरे-धीरे उसके करीब मे सो गया । फिर उन दोनों ने कई सारी बातें कि साथ मे अंगूर भी खाए पानी पिया । और प्यार किया । लेकिन थोड़ा सा गड़बड़ हो गया दादी को वहाँ अरु के होने का ऐहसास हुआ। । दादी उठ गई और टार्च मे देखने लगी । टार्च मे कम रौशनी थी और उनकी आँख मे कम दिखाई देता था। वो दादा को जगाने लगी अरु स्थिति बिगड़ी देख वहाँ से भाग कर पीछे वाली पहाड़ी मे छुप गया।  कुछ देर बाद सब फिर सो गए । अरु फिर से सारा के पास गया और अपना मोबाइल लेकर विदा ली। अगले दिन अरु ने सारा से बात कि और कहा मैं तुम्हारे साथ हूँ यदि तुम जो भी फैसला लो मैं मानुगा । पर इस बात को किसी ने कुछ नहीं कहा और सब सामान्य बना रहा। बात जारी रही।

शनिवार, दिसंबर 24

हम भोले के दीवाने


हम भोले के दीवाने


हमें दर्शन करने जाना रे
हम भोले के दीवाने
थोड़ा आगे तक पहुंचादे रे
ओ राही दिवाने
हम भोले के दिवाने
शिव शंकर के दिवाने

सुंदर बगिया पेड़ लता है
गलियों और मैदनो मे
जरा छाव मे आजा रे
ओ राही दीवाने

ना गाड़ी है, ना घोडा है
पैदल हि जाना है
थोड़ी राह आसान करा दे रे
ओ राही दीवाने

तुझे भोले ने भीजवाया रे
तू साथी बनजा मेरा
चल तू भी दर्शन करले रे
ओ रही दीवाने

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गुरुवार, नवंबर 17

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

 

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग


नमस्कार दोस्तों राम राम जय सियाराम जय नागेश्वर महाराज मैं हूं रितेश मोरले और आप देख रहे हैं मेरा यूट्यूब चैनल ट्रेवल्स जंक्शन

द्वारकाधीश से नागेश्वर महादेव और बेड द्वारका दोनों जो है 30-30 किलोमीटर की दूरी पर है और सोमनाथ 50 किलोमीटर की दूरी पर है तो अभी हम यहां से जो है नागेश्वर धाम जाएंगे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव चलिए दोस्तों चलते हैं

 

द्वारकाधीश से अब 30 किलोमीटर की दूरी पर नागेश्वर महादेव है उसके लिए इस रिक्से में


ऊपर से पूरा खुला हुआ जहां से जाने के लिए सिर्फ एक ही मार्ग है वह है बाई रोड आप सिर्फ रोड से ही नागेश्वर महादेव जा सकते हैं यह नागेश्वर महादेव का मुख्य द्वार है यहां से प्रवेश करते हुए हम अंदर को पहुंच जाते हैं यह श्री नागेश्वर महादेव का मंदिर आपको दिखाई दे रहा होगा यहां भी एक गेट है इसी गेट के थ्रू हम फिर अंदर प्रवेश करेंगे तब नागेश्वर महादेव के मंदिर के प्रांगण में पहुंच जाएंगे यह नागेश्वर महादेव का शिखर है मंदिर का शिखर बहुत ही सुंदर और विशाल है बहुत ही बढ़िया यहां का प्रांगण है यह बाहर से मंदिर इतना सुंदर और खूबसूरत भव्य है हम मंदिर में कर रहे हैं प्रवेश चलिए दोस्तों मंदिर में प्रवेश करते हुए हमें बहुत ही मैन में बहुत खुशी है और हम मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं बहुत ही सुंदर लग रहा है यहां पर ओम लिखा हुआ गेट के पास ही और यहां से हमने प्रवेश किया है यह मंदिर के अंदर की बनावट है बहुत ही खूबसूरत और बहुत सारे भक्त यहां पर आसपास हमको दिखाई दे रहे हैं बहुत ही सुंदर है यह श्री नंदी महाराज जी इनको हम प्रणाम करते हैं जय श्री नंदी महाराज और नंदी महाराज के दर्शन कर लेते हैं उसके पक्ष हम करेंगे श्री नागेश्वर महादेव श्री ज्योतिर्लिंग के दर्शन जो की बहुत ही दर्शन के लिए बहुत ही सुंदर और लाभ दिए हैं जय श्री महादेव जय श्री महादेव जय महादेव जय श्री नागेश्वर महाराज चलिए दोस्तों हम नागेश्वर महाराज के दर्शन कर लेते हैं बहुत ही पास से करना चाहेंगे और जूम करके इसके दर्शन हम करेंगे श्री नागेश्वर महादेव के देख लीजिए बहुत ही सुंदर यहां पर हमें दिखाई दे रहे हैं अभी दिखाई देने लगे हैं श्री नागेश्वर महादेव की जय आप भी दर्शन करें और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें भगवान आपकी जिंदगी को आपको खुशियों से भर दे आपकी हर मनोकामना पुरी हो इस दर्शन के बाद जय श्री महादेव जय श्री नागेश्वर महादेव


जय माता दी गीता महाप्रबंधक और यहां से हमने दर्शन कर लिए माता रानी के भी और नंदी महाराज की भी दर्शन कर लिए यहां पर सभी भक्तगण आते हैं पूजा करने के लिए अलग-अलग होती है देखने के लिए अलग-अलग होती है और वीडियो वगैरा खींचने के लिए भी यहां पर अलग एक व्यवस्था की गई है जो की बहुत ही सुंदर है दोस्तों यह है भगवान शिव और मैन पार्वती और साथ में ये है श्री शनि देव महाराज की मूरत ये मंदिर प्रांगण में है बाहर है मंदिर के पीछे नदी है बहुत ही सुंदर बड़ी और बहुत बड़ी नदी है


बैठ सकते हैं आराम कर सकते हैं मैन को बहुत अच्छा लगता है यह कितना भव्य और सुंदर मंदिर यहां पर हमें देखने को मिला मैन को बहुत सुकून मिला यहां आप आएंगे तो यहां पर फोटो भी खींच सकते हैं फोटो खींचने के लिए यहां पर अपने फटॉग्रफर्स हमेशा यहां पर लगे रहते हैं फोटो खींचकर आपको बहुत ही बढ़िया 50 और 100 रुपए में बना कर दे देंगे


बहुत ही सुंदर होगी तो दोस्तों आप श्री महादेव जी के दर्शन यहां पर कीजिए और यहां पर आप जब भी अगर घूमने के लिए आते हैं तो जरूर लिए और इस मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन कीजिए जो की बहुत ही सुंदर है आप यहां पर आएंगे तो बहुत ही अच्छा होगा आपकी सभी मनोकामना श्री नागेश्वर महादेव जी पूर्ण करेंगे जय श्री नागेश्वर महादेव जय श्री नागेश्वर महादेव [संगीत] चलिए अब हम चल रहे हैं वापस अपने मार्ग की ओर


प्रस्थान करते हुए यह यहां की वेशभूषा है यहां के लोग इस तरह के कपड़े पहनते हैं बहुत ही सुंदर वेशभूषा यहां की देखने में दोस्तों इस वीडियो को अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें ताकि वह भी भगवान नागेश्वर महादेव के दर्शन कर सके और लाइक करें कमेंट करें आपको पसंद आए सब्सक्राइब करें धन्यवाद दोस्तों हमारे इस वीडियो को देखने के लिए आपका और चलिए अब चलते हैं



रविवार, अगस्त 14

मंगलेश शायरी

पहले किस्मत मेरा फैसला करती थी

अब मैं किस्मत का फैसला करता हूँ।

पहले अकेला लड़ता था उससे

अब आप के साथ मिल कर लड़ता हूँ।


 इश्क किया हमने तुमसे, 

कोई आईना हम नहीं ...

जो बदल दे सक्स हर बार ,

वो सक्स समझना हमे नही ...


जिन्दा हू अभी मुझमे जान बाकी है 

परिंदा हू ऊंची  मेरी उड़ान बाकी है 

अभी ही तो मैने अपने पँख खोले है 

अभी नापना पूरा आसमान बाकी है


जब कोई आप का साथ देने वाला नहीं है। तो उम्मीद किसी से क्या करना।

हर खुशी मिलती है भोलेनाथ के दरबार मे। बस भोले पर विश्वास रखना।

शुक्रवार, जुलाई 22

चाहत और भी है-भाग 23


यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।

चाहत और भी है-भाग 23

रिश्ते बनाना आसान है। तोड़ना भी आसान है। निभाना बहुत हि कठिन है। समय जिस स्पीड से चल रहा है उस स्पीड से उन दोनों कि जिन्दगी मे उथल पुथल हो रही है। लड़ते है झगड़ा करते है। रूठ कर मनाते भी है। जितना सुलझते है उतना फिर उलझ जाते है। जिन्दगी के फसने ना मैंने जाने ना तूने जाने। बिखरी हुई जिंदगी को सँभालने कि कोसिसे करते सारा और अरु। गलती को सुधार कर आगे बढ़ना चाहते है। उन्होंने इस दिशा मे एक कदम और बढ़ाया। उन्होंने ये फैसला किया कि अब वो फिर से मिले। बातें तो आपस मे चल हि रही है। सारा ने अरु से कहा - अरु आप मुझसे मिलने आ जाओ। जो होना था वो हो चुका अब सब कुछ भुला कर मुझे अपना लो। अरु भी मान गया और कहा - ठीक है मैं रक्षाबंधन पर्व पर घर आ रहा हूँ तब आप से मिलने जरूर आऊँगा। पर अब आप के घर नहीं आने वाला। अब आप को हि मेरे पास आना होगा। क्योंकि मैं हि हमेशा आप के पास आया हूँ आप कभी भी नहीं आए। इस पर सारा ने कह- मैं एक लड़की हूँ मेरी कई परेशानिया है। कुछ पाबन्दियां भी है। मैं अकेली कहीं भी नहीं जा सकती।  अरु - बहुत अच्छा तो जैसे लड़कों पे तो कोई पाबन्दी हि नहीं है। उन्हें तो खुला छोड़ दिया जाता है। जहां मन करें वहाँ चलें जाओ। जिसे चाहे कर लो। ये सब फालतू कि बातें है। सारा - हा मैं मानती हूँ कि आप पर भी पाबन्दी है। लेकिन..... अरु - लेकिन वेकिन कुछ नहीं। प्यार करती है तो आना। मेरे लिए दिल मे प्यार है तो आना। सारा - ठीक है मैं आऊँगी पर मैं भी आप के घर नहीं आऊँगी। हम और कहीं मिलेंगे। ओके। अरु - मेरे घर आप नहीं आ सकती, मैं आप के घर नहीं आ सकता, तो हम कहा मिलेंगे? सारा - हम जड़मा मे मिल सकते है। वो बड़ा शहर है और हमारे दोनों के गावों से लगभग बराबर बीच मे पड़ता है। अरु -हा, आप जो कह रही है, वो ठीक है, पर हम वहाँ कैसे मिलेंगे? वहाँ तो बहुत लोग होते है। क्या आप किसी को जानती हो? सारा - नहीं, मैं नहीं जानती। लेकिन हम किसी होटल मे चल लेंगे। मैंने सुना है वहाँ जा सकते है। अरु- ठीक है फिर मैं यहाँ से निकल रहा हूँ। दो दिन मे घर पहुँच जाऊंगा। सारा - ठीक है। अरु को आज इतना खुश बहुत दिनों के बाद देखा। ये खुशी कितने समय के लिए है ये तो भगवान हि जाने। अरु को इस तरह खुश देख कर मैं भी बहुत खुश हूँ। मेरे मन मे एक हि सवाल है। प्यार मे कोई इतना कैसे डूब सकता है? और इतनी बड़ी गलती कोई कैसे माफ़ कर सकता है? या फिर मेरा दोस्त प्यार मे अँधा हो गया है। खैर जो भी हो ओ खुश है, मेरे लिए उतना हि काफी है। अरु ने खुशी खुशी घर जाने की तैयारियां शुरू कर दी। कई प्ररकार के सपने दिल ने सजाये अरु अगले दिन घर के लिए निकल गया। जब खुशीया मिलती है तो हर मौसम हर परिस्थी अनुकुल हो जाती हैं। चार दिन घर पर बिताने के बाद अरु वापिस काम के लिए निकला सारा भी इलाज के बहाने अपने घर से निकली और तय समय पर दोनों जड़मा सिटी मे मिले। कुछ समय दोनों ने शहर घूमा फिर एक होटल मे चलें गए। श्याम तक दोनों वहीं रुके। अरु ने मेडिकल से कुछ दवाई खरीदी और सारा को दे दी। उन्होंंने बस मे बैठ कर बहुत सारी बातें कि फिर सारा अपने गांव उतर गई। और अरु उसी बस से अपने काम के लिए आ गया। अब तक तो सब ठीक हि हो रहा है। पर आगे क्या होगा ये बहुत हि दिलचस्प है।


Building relationships is easy.  It is also easy to break.  It is very difficult to fulfill.  The speed with which time is passing is causing turmoil in both of their lives.  Fights fights.  He also celebrates with tears.  The more it settles, the more it gets confused.  Neither I know nor you know about life's entanglements.  Sara and Aru try to handle the shattered life.  Want to correct the mistake and move on.  He took a step further in this direction.  They decided that now they should meet again.  Things are going on amongst themselves.  Sara said to Aru - Aru, you come to meet me.  Whatever had to happen has happened, now forget everything and accept me.  Aru also agreed and said - okay I am coming home on Rakshabandhan festival, then I will definitely come to meet you.  But now he is not going to come to your house.  Now you have to come to me.  Because I have always come to you, you have never come.  On this Sara said – I am a girl, I have many problems.  There are some restrictions also.  I can't go anywhere alone.  Aru - Very good, as there is no restriction on boys.  They are left open.  Go wherever you want.  Do whatever you want  All these are nonsense.  Sara - Yes, I agree that you are also banned.  But..... Aru - but but nothing.  If you love then come  If I have love in my heart then come.  Sara - Okay I will come but I will not come to your house either.  We will meet somewhere else.  Ok.  Aru - You can't come to my house, I can't come to your house, so where will we meet?  Sara - We can meet at Jadma.  It is a big city and lies almost equally between our two villages.  Aru-ha, what you are saying is right, but how will we meet there?  There are many people there.  do you know anyone  Sarah - No, I don't know.  But we'll go to a hotel. I heard you can go there.  Aru- Okay then I'm getting out of here.  I will reach home in two days.  Sarah - All right.  Saw Aru today after a long time so happy.  For how long is this happiness, only God knows.  I am also very happy to see Aru happy like this.  I have one question in my mind.  How can someone fall so deeply in love?  And how can anyone forgive such a big mistake?  Or my friend is blind in love.  Well whatever it is, oh happy, that's enough for me.  Aru happily started preparations to go home.  Many kinds of dreams were decorated by the heart. Aru left for home the next day.  When happiness is found, every season, every circumstance becomes favorable.  After spending four days at home, Aru went back to work, Sara also came out of her house on the pretext of treatment and both of them met in Jadma City at the appointed time.  For some time both of them roamed the city and then went to a hotel.  Both stayed there till Shyam.  Aru bought some medicine from the medical and gave it to Sara.  He sat in the bus and talked a lot that then all got down to their village.  And Aru came for his work by the same bus.  Till now everything is going well.  But what happens next is very interesting.

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