बहुत पुराने समय की बात है।एक बहुत ही शक्तिशाली
और पराक्रमी राजा चिरायु गढ़ में राज किया करता थे।उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसके राज्य में
सभी प्रजा सुखी से अपना जीवन यापन किया करते थे।
वह अपनी प्रजा को अपनी संतान की तरह समझता था
और अपने दुख सुख में उन्हें शामिल किया करता था।
उसके राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही थी।
राजा और उसकी प्रजा बड़े सुख चैन से अपना जीवन
व्यतीत करते थे परंतु राजा के मन में एक पीड़ा एक बेचैनी हमेशा बनी रहा करती थी आखिर उसके बाद इस राज्य का क्या होगा, क्योंकि उसे कोई संतान नहीं थी और उसके राज्य का कोई वारिस ना होने के कारण, उसके पड़ोसी मुल्क उस पर नजरें गड़ाए हुए थे। वह चाहते थे, कि वहां का राज्य उनका हो जाए परंतु राजा दिन रात यह सोचा करता था कि आखिर उनके बाद क्या होगा? रानी को भी अपनी संतान ना होने पर बहुत दुख था। राजा - रानी ने अपने आप को संतोष देने के लिए उन्होंनेे एक मिट्ठू अपने यहां पर पाल लिया । वे उसे अपने बच्चे की तरह प्रेम करते थे, उसे अपने हाथो से खाना खिलाते, अपने हाथो से नहलाते और उसे अपना पुत्र समझते थे। इसी तरह उनका दिन व्यतीत हुआ करता था एक दिन श्याम के समय की बात है, जंगल से उड़ते हुए कुछ मिट्ठू वहाँ से गुजर रहे थे । मिट्ठू ने देखा तो उन्हें अपने जैसा जानकर आवाज लगाई, उसकी आवाज सुनकर आसमान से उड़ रहे मिट्ठू उसके आसपास इकट्ठा हो गए और बात करने लगे सब अपना अपना हालचाल एक दूसरे को बता रहे थे पिंजड़े में रखा हुआ मिट्ठू भी बोला मैं यहां बहुत सुखी हूं और मुझे किसी बात की कोई कमी नहीं है राजा और रानी मुझे अपने पुत्र की भांति प्रेम करते हैं और मुझसे बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं। यह सुनकर बाहर की एक मिट्ठू ने कहा वह, तुमसे कोई प्रेम नहीं करते यह बस उनका दिखावा है क्योंकि अगर वह प्रेम करते तो तुम्हें इस तरह पिंजड़े में कैद नहीं करके रखते। इस पर मिट्ठू बोला नहीं वह मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और देखिए मेरे लिए उन्होंने सोने का पिंजरा बनवाया है। यह सुनकर बाहर का मिट्ठू बोला पिंजड़ा सोने का ही सही पर है तो कैदखाना, तुम हमारी तरह स्वतंत्र आसमान में नहीं उड़ सकते तुम्हें जो खाने को दिया जाएगा वही खाओगे, अपनी मर्जी से उड़कर कहीं जा नहीं सकते, ना ही अपनी मन मुताबिक कुछ खा सकते हो। यह सुनकर उस मिट्ठू को बहुत बुरा लगा और वह सोच मे पड़ गया , आखिर ये सच हि तो बोल रहे है। मैं अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकता । क्या सच में मैं कैदी हूं यह सोचकर बोला अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं जिन्दगी भर यही कैदी बनकर रहूँगा? उसने सारी रात बहुत सोचा और एक फैसला लिया की कल सुबह मैं मरने का नाटक करूंगा और जब मैं मरा हुआ सुबह दिखाई दूंगा तो यह लोग मुझे फेंक देंगे और तब मैं उड़कर यहां से चला जाऊंगा और वह अगले दिन सुबह सुबह मरने का नाटक करता है ।रानी जब उसे खाना देने जाती हैं तो उसे मरा हूआ देख कर बहुत जोर जोर से रोने लग जाती है राजा भी बहुत दुखी होकर यह दुखद समाचार सभी को कहता है कुछ हि समय में सब लोग आ जाते है उसके बाद मे अर्थी बना कर उसे पूरे विधि विधान से शमशान ले जाते है और जब राजा उसकी चिता को आग लगाने के लिए आगे बढ़ते हैं तभी मिठ्ठू उड़ कर पेड़ पर बैठ जाता है और राजा से कहता है कि आप ने मुझे बहुत प्यार किया है और मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी जो मै आप के प्यार को पहचान नहीं पाया। मिठ्ठू कहता है राजा जी मै आपको संतान प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करूंगा अन्यथा अपने प्राण त्याग दूंगा यह कह कर मिट्ठू वहां से उड़ जाता है और सभी अपने अपने घर वापस चले जाते हैं
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