रविवार, अगस्त 14

मंगलेश शायरी

पहले किस्मत मेरा फैसला करती थी

अब मैं किस्मत का फैसला करता हूँ।

पहले अकेला लड़ता था उससे

अब आप के साथ मिल कर लड़ता हूँ।


 इश्क किया हमने तुमसे, 

कोई आईना हम नहीं ...

जो बदल दे सक्स हर बार ,

वो सक्स समझना हमे नही ...


जिन्दा हू अभी मुझमे जान बाकी है 

परिंदा हू ऊंची  मेरी उड़ान बाकी है 

अभी ही तो मैने अपने पँख खोले है 

अभी नापना पूरा आसमान बाकी है


जब कोई आप का साथ देने वाला नहीं है। तो उम्मीद किसी से क्या करना।

हर खुशी मिलती है भोलेनाथ के दरबार मे। बस भोले पर विश्वास रखना।

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