यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी वेक्ति , वस्तु , या स्थान से कोई सम्भन्ध नहीं है।
चाहत और भी है-भाग 24
अपनी चाहत और प्यार दिल मे सजोए अरु काम पर चाला गया । फोन पर कई प्यारी प्यारी बातें होती रही पर साथ हि साथ लड़ाई भी हो जाया करती । क्योंकि भरोसा कम जो हो गया था। सारा ने एक दिन अरु से कहा आप मुझसे मिलने आओ । क्योंकि अब धीरे धीरे तीन महीने हो गए थे । अरु भी उससे मिलना चाहता था । अतः वो भी घर वापिस आ गया । फिर उन दोनों ने प्लानिंग कि और खेत मे मिलने का सोचा । प्लानिंग के अनुसार अब सारा खेत मे हि रुक गई । इधर अरु का मन कुछ विचलित था पर फिर भी वह रात के नौ बजे तक खेत पहुचा आज हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी । अरु अपने साथ अंगूर भी लाया था । दादा-दादी खाना खा कर सो रहे थे, सारा भी उन्हीं के साथ सो रही थी । सारा ने अरु को चुपके से अपने पास बुलाया। अरु भी धीरे-धीरे उसके करीब मे सो गया । फिर उन दोनों ने कई सारी बातें कि साथ मे अंगूर भी खाए पानी पिया । और प्यार किया । लेकिन थोड़ा सा गड़बड़ हो गया दादी को वहाँ अरु के होने का ऐहसास हुआ। । दादी उठ गई और टार्च मे देखने लगी । टार्च मे कम रौशनी थी और उनकी आँख मे कम दिखाई देता था। वो दादा को जगाने लगी अरु स्थिति बिगड़ी देख वहाँ से भाग कर पीछे वाली पहाड़ी मे छुप गया। कुछ देर बाद सब फिर सो गए । अरु फिर से सारा के पास गया और अपना मोबाइल लेकर विदा ली। अगले दिन अरु ने सारा से बात कि और कहा मैं तुम्हारे साथ हूँ यदि तुम जो भी फैसला लो मैं मानुगा । पर इस बात को किसी ने कुछ नहीं कहा और सब सामान्य बना रहा। बात जारी रही।
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