एक गज का फ़ासला था ,और सदियों की दूरी थी।
समंदर तो था दिल ये मेरा ,पर ख़्वाहिश अधूरी थी।
सो रही थी वो ऑंख मेरी खूली थी।
देखा है मैंने वो क़यामत सी रात थी।
०७/१०/२०२०।
रितेश
कविता, शायरी, कहानियाँ और गाने हमारे ''&You'' ब्लॉग पर देख सकते हैं। धन्यवाद "new song" "new story" and ''new poetry'' in hindi, you can see our blog on ''&You'' blog. Thank you