सोमवार, अक्तूबर 12

शायरी RS9

एक गज का फ़ासला था ,और सदियों की दूरी थी।
समंदर तो था दिल ये मेरा ,पर ख़्वाहिश अधूरी थी।
सो रही थी वो ऑंख मेरी खूली थी।
देखा है मैंने वो क़यामत सी रात थी।
०७/१०/२०२०।   
रितेश  






  There was a distance of one yard, and there was a distance of centuries.
 The ocean was my heart, but my wish was unfulfilled.
 My eyes were open when I was sleeping.
 I have seen that it was a doomsday night.

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